भोपाल: चुनाव नजदीक देख भाजपा ने बांटनी शुरु की रेवडिय़ां, जल्द होगा मंत्रिमण्डल का विस्तार…?

डे नाईट न्यूज़ कई महीनों से चल रहे मंत्रिमण्डल के विस्तार के झुनझुने के बाद अब फिर नया शिगूफा भाजपा के नेताओं को फिर से सपना दिखाया कि जो मुख्यमंत्री शिवराज के बालसखा रामपाल जैसे मंत्री इस मंत्रिमण्डल में जगह नहीं पा सके वह अपनी कार्यशैली का नजारा चुनावी वर्ष में पुन: दिखाने के लिये तैयार हो गये हैं और उन्हें मंत्रिमण्डल में फिर शामिल किया जा सकता है? मंत्रीमण्डल में शामिल होते ही अपनी कार्यशैली का नजारा पुन: प्रदेश की जनता को दिखायेंगे जिसमें उनके कार्यकाल में गुणवत्ताविहीन सड़कें व पुलों का पुर्ननिर्माण होगा, यदि इस वर्ष अच्छी बरसात हुई तो यह पुल-पुलियें एक ही बरसात में बह जायेंगे? फिर भी मुख्यमंत्री का यह शिगूफा प्रदेश की जनता के सामने आयेगा कि मध्यप्रदेश की सड़कें वाशिंगटन की सड़कों से बेहतर हैं?

तो वहीं कहने को तो प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक यह दावा करने से नहीं थकते कि भाजपा के शासनकाल में देश में 18 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाई गई उनमें से कुछ गांव तो इस प्रदेश में भी होंगे जहां विद्युत विस्तारीकरण के नाम पर जो खंबे लगे हुए हैं उनमें हुए भ्रष्टाचार के कारण वह इतने अधिक झुक गये हैं कि वह भ्रष्टाचार की बयां खुद दास्तां करते नजर आते हैं? लेकिन इस बारे में उन मुख्यमंत्री के चहेते पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला को शर्म आ रही है और न ही विद्युत मण्डल को, बल्कि विद्युतीकरण के विस्तार के कारण प्रदेश की जनता को बिजली का नहीं बल्कि बिलों के करंट का झटका लग रहा है? ऐसी संभावना है कि नये मंत्रिमण्डल में गौरीशंकर बिसेन जैसे मंत्री को भी शामिल किया जा सकता है, जो पन्न में हुए एक विवाद के बाद यह दावा करते नहीं थकते थे कि वह तो मंत्री बने रहेंगे चाहे फिर वह केंद्र में रुपये देकर कृषि राज्यमंत्री तक बन सकते हैं?

इससे यह भी संकेत मिलते हैं कि भाजपा के शासनकाल में मंत्रिमण्डल में उन्हीं लोगों को शामिल किया जाता है जो भजकलदारम् की प्रवृत्ति को अंजाम देते हैं? जैसे कि मुख्यमंत्री और भाजपा के नेताओं ने पिछले दिनों देर रात तक प्रदेश भाजपा कार्यालय में किये मंथन के बाद यह निर्णय लिया कि मंत्रिमण्डल का विस्तार शीघ्र ही किया जायेगा? इसमें शामिल होने के लिये ऐसे लोगों में मंत्रीपद पाने की लालसा फिर से हिलोरे मारने लगी, जिन्होंने अपनी कार्यशैली के चलते सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ प्रदेश के विकास तो किया है लेकिन विकास ऐसा जो कि चंद दिनों में ही इस विकास के साथ हुए भ्रष्टाचार की कहानी भी उजागर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है?

वहीं मंत्रिमण्डल के विस्तार के साथ-साथ निगम मंडलों में नियुक्ति पाने के लिये वर्षों से लालायित भाजपा नेताओं में अब यह आस जाग उठी है कि प्राधिकरण की नियुक्तियां भी इसी माह में होंगी? इसी के साथ यह भी सवाल उठता है कि पांच से लेकर 25 फरवरी तक जब प्रदेश के सारे मंत्रिमण्डल के सदस्य और विधायक विकास यात्राओं में जुटे हुए हैं और इसके बाद 27 फरवरी से शासन द्वारा घोषित 27 मार्च तक विधानसभा का सत्र भी निर्धारित है, ऐसी स्थिति में क्या मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं के मंथन के बाद की गई मंत्रिमण्डल विस्तार की घोषणा क्या संभव हो सकेगी? हालांकि यह सर्वविदित है कि भाजपा के विधायकों से लेकर प्रदेश के दूर-दराज में अपनी भाजपा शासन में राजनीति चमकाने वाले नेता कोई न कोई पद पर आसीन होने की आस लगाए वर्षों से बैठे हुए हैं?

इस घोषणा से भाजपा में पद पाने वाले दावेदारों में बैचेनी बढ़ गई है? उनकी बड़ी हुई बेचैनी पर कब विराम लगेगा यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा? लेकिन इस घोषणा के साथ यह भी संकेत मिलते हैं कि भाजपा के इन बेचैन नेताओं को पद पाने की बेचैनी पर विराम लगाकर भाजपा उन्हें सबका साथ, सबका विकास के नारे की हकीकत जो भाजपा के शासनकाल में वर्षों से बुलंद हुई है उसके चलते भाजपा के नेताओं की हैसियत में हुए इजाफे को लेकर उमा भारती जब भारतीय जनशक्ति की राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करती थीं तो वह अक्सर शिवराज सरकार पर यह आरोप लगाया करती थीं कि शिवराज सरकार में भ्रष्टाचार के चलते इस प्रदेश में ऐसे नेताओं जिनकी हैसियत टूटी साइकल तक खरीदने की नहीं थी आज वह आलीशान भवनों और लग्जरी कारों में फर्राटे भरते सड़क पर नजर आते हैं…?

इस स्थिति से प्राधिकरण की नियुक्ति और मंत्रिमण्डल विस्तार में मुख्यमंत्री के बालसखा रामपाल सिंह राजपूत व विद्युतीकरण के विकास के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार करने वाले झुके खंबों को लगाकर इस प्रदेश की जनता पर बिजली के बिल का करंट लगाकर जनता को बेहाल करने वाले राजेंद्र शुक्ला तथा रुपये देकर मंत्री पद प्रदेश में नहीं बल्कि केंद्र में कृषिराज्यमंत्री का पद पाने वाले गौरीशंकर बिसेन जैसे लोगों की जरूर लाटरी लग सकती है? तो वहीं मुख्यमंत्री और भाजपा के नेताओं ने मंथन में यह निर्णय लिया कि प्रदेश में कोई मंत्री हटाया नहीं जायेगा? बल्कि चार नये चेहरे शामिल किये जायेंगे उन चार नये चेहरों में रीवा के महारथी राजेंद्र शुक्ला जिन्होंने विंध्य प्रदेश में अपनी कार्यशैली के चलते भाजपा की साख गिराई है तो वहीं एक नाम तो मंत्रिमण्डल विस्तार के साथ जरूर चर्चाओं में आता है वह हैं रामपाल सिंह राजपूत का जिन्होंने लोक निर्माण विभाग मंत्री रहते हुए अपने कार्यकाल में जो सड़क व पुल-पुलिये बनाये थे वह भाजपा के शासनकाल में ही दो बरसातों में धराशायी हो गये हैं?

जबकि इस प्रदेश में आज भी अनेक पुल मौजूद हैं जो अंग्रेजों के जमाने में बने हुए हैं जो आज भी मजबूती के साथ खड़े नजर आते हैं? लेकिन रामपाल सिंह व भाजपा के शासनकाल में बने पुल-पुलियों में अधिकांश धराशायी हो गये लेकिन न तो लोक निर्माण विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही भाजपा शासकनाल में हुई जिन्होंने अपनी कार्यशैली के चलते इन पुलों का निर्माण किया? यही नहीं मुख्यमंत्री के निवास पर एनक्सी बनाने के नाम पर साढ़े छह करोड़ का मुख्यमंत्री को अपनी कार्यशैली का नमूना पेश करने वाले अधिकारी को भी मुख्यमंत्री ने छोड़ दिया? शायद यही वजह है कि लोक निर्माण विभाग के बारे में लोगों का यह भी कहना है कि सारे कुओं में भांग घुली हुई है? इसका जीता जागता उदाहरण तो लोक निर्माण विभाग के सीएम हाउस में पदस्थ एक अधिकारी तो अपनी कार्यशैली का नमूना प्रस्तुत कर चुके हैं फिर भी आज भी अपनी कार्यशैली का कमाल दिखाने के लिये आज भी विभाग में मौजूद हैं, सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री के इस दावे के कि भ्रष्टाचारी के लिये इस प्रदेश में कोई जगह नहीं है, पर मुख्यमंत्री को अपनी कार्यशैली का नमूना पेश करने वाले अधिकारी को मुख्यमंत्री के द्वारा छोड़ देना यह विभाग ही नहीं बल्कि लोगों के गले नहीं उतर रही है?

ऐसी स्थिति में मंत्रिमण्डल विस्तार और निगम मण्डलों में नियुक्ति को लेकर क्या खेल खेला जाएगा? इसको लेकर तरह-तरह की चर्चायें प्रदेश के नागरिकों में व्याप्त हैं? वैसे भी इसी चुनावी वर्ष में मंत्रिमण्डल का विस्तार और निगम मण्डलों में नियुक्तियां होनी है, जिससे असंतोष नेताओं की बेचैनी पर विराम लग सके? इसके साथ ही मध्यप्रदेश में भाजपा ने घोषणा की है कि चुनाव के लिये चंदा पूरे प्रदेश की विधानसभा क्षेत्रों से जमा किया जायेगा? इसके साथ ही इस प्रदेश में इसी वर्ष भाजपा शासनकाल में बनी सड़कें व पुलों के नाम पर विकास होना है और यह चंदे का दौर भी इसके साथ-साथ चलना है? तो इस विकास कार्य की कितनी राशि भाजपाई नेताओं के द्वारा अधिकारियों से वसूली जाएगी, जिससे विकास में बाधा तो आएगी ही वैसे ही इस प्रदेश के अधिकारी इन दिनों भाजपा द्वारा बनाये गये बूथ स्तर पर मजबूत करने के लिये आधा पन्ना और एक पन्ने के जिन नेताओं को काम दिये गये हैं वह इन दिनों पूरे प्रदेश के अधिकारियों से बैठक के नाम पर चंदा वसूली करने में लगे हुए हैं तो वहीं भाजपा के अधिकांश नेता व कार्यकर्ता आम आदमी के द्वारा कराये गये भवन के निर्माण में इसी राजधानी में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा किये जाने की जोरों से चर्चा है? देखना अब यह है कि चुनावी वर्ष में होने वाले निगम मण्डलों में नियुक्ति और मंत्रिमण्डल में विस्तार के बाद क्या भाजपा नेताओं द्वारा की जा रही वसूली पर कुछ बंदिश लग पायेगा कि नहीं यह तो भविष्य बतायेगा?

फिलहाल तो मुख्यमंत्री व भाजपा के नेताओं द्वारा किये गये मंथन के बाद जो घोषणा की गई उसमें पद पाने की लालसा भाजपा नेताओं में हिलोरे मार रही है उनकी यह उम्मीद कब पूरी होगी यह तो भविष्य बतायेगा…?

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