पूर्णिमा पर करें तीर्थ दर्शन और नदी स्नान…


आज 6 जनवरी को पौष मास की पूर्णिमा है। इस दिन पौष माह खत्म होगा और 7 जनवरी से माघ मास शुरू हो जाएगा। पूर्णिमा को भी पर्व माना जाता है। इस तिथि से जुड़ी कई परंपराएं हैं, जिनका पालन करने पर धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। धर्म-कर्म से नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और मन शांत होता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानिए पूर्णिमा से जुड़ी कुछ ऐसे परंपराएं, जो पुराने समय से प्रचलित हैं…

इस पर्व पर तीर्थ दर्शन और नदी स्नान करने की परंपरा का पालन काफी अधिक लोग करते हैं। इसीलिए गंगा, यमुना, शिप्रा, नर्मदा, अलकनंदा सहित देश की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इसके साथ ही पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन करना चाहिए। पौराणिक मंदिर जैसे 12 ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ, चार धाम आदि।

अभी ठंड का समय है। इन दिनों में ऊनी वस्त्रों का दान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को अनाज, जूते-चप्पल, कपड़े और धन का दान करें। अगर संभव हो तो किसी व्यक्ति को घर में बैठाकर भोजन कराएं या घर के बाहर भोजन का दान करें।

पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने और सुनने की परंपरा काफी अधिक प्रचलित है। सत्यनारायण विष्णु जी का ही एक स्वरूप है। स्कंद पुराण के रेवाखंड में इनकी कथा है। कथा पांच अध्यायों में है, 170 श्लोक हैं और दो विषय हैं। एक विषय है संकल्प न भूलना और दूसरा है प्रसाद का अपमान न करना। सत्यनारायण कथा में बताया गया है कि हमेशा सच बोलें और भगवान के प्रसाद का अनादर न करें। कथा की इन बातों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश करनी चाहिए।

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