चतुर्थीचंद्र (चौठचंद्र) और हरितालिका तीज 26 अगस्त को/आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र।


इसवार तीज एवं चौठचंद्र पर्व एक ही दिन।
इसी दिन भगवान वराह ने अवतार ग्रहण कर दुष्ट हिरण्याक्ष को गति प्रदान कर रसातल में ले गई पृथ्वी को अवस्थित किये थे।
इसवार सिद्धि योग में होगी तीज पूजा उपवास।
साथ ही इसवार राज्यप्रद योग में चौठचन्द्र पूजा।
यह कहना है गोसपुर ग्राम निवासी मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का। उन्होंने बताया कि
मंगलवार को होने से सुन्दर राज्ययोग का निर्माण भी हो गया है।
इस दिन गणेश जी की आराधना भी भक्तों को सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे।
तीज व्रती महिलाए 12 बजकर 45 मिनट तक डाली भरें।
इस दिन तीज व्रती महिलाए अपनी सुहाग की रक्षा एवं संतान स्वास्थ्य की दृष्टिकोण के साथ साथ लंबी आयु के लिए व्रत रखती है।
इस दिन तीज व्रती भगवान शिव के साथ साथ माता गौरी की पूजा विधि विधान से करती है।
सभी व्रती महिलाए हरितालिका तीज की पूजा उपरांत कथा भी सुनती है।
संध्याकाल में होगी चतुर्थी चन्द्र पूजा। यह पर्व मिथिला में विभिन्न स्थानों पर धूम धाम से मनाया जाता है। अनेक प्रकार के पकवानों से पर्व को विशेष बना दिया जाता है।
दालपुरी, खजूर, पुरुकिया सेव, अनार, अमरूद और केला नारियल के साथ साथ दही की माटकुरी हाथ में लेकर चंद्रदेव का दर्शन मंत्रों को पढ़ते हुए करते हैं सभी परिवार मिलकर।
आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि यह पर्व जिस प्रकार छठ पूजन में प्रातः काल भगवान सूर्य हाथ उठाकर तपस्या करने के साथ साथ दर्शन करते हैं उसी प्रकार चतुर्थीचन्द्र पूजन में संध्या काल में दही और फल लेकर समस्त परिवार के लोग चंददेवता का दर्शन करते हैं जिससे समस्त प्रकार के फल प्राप्त होते हैं।
संध्या काल में आंगन में अरिपण देकर समस्त प्रकार के पकवानों के साथ साथ फल आदि रख कर चन्द्रदेव को भोग लगाया जाता है।
चंद्रदेव का दर्शन मंत्र–
सिंह: प्रसेनमवधीत सिंहो जांबबबता हत:।
सुकुमारक मा रोदिस्तव एख स्यमंतकः।।
प्रार्थना मंत्र –
दधीशंखतुषाराभम छीरोदार्नव संभवम।
नमामि शशिनम भक्तया शंभूरमुकुटभूषणम।।

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