पृथ्वी को बचाने के लिए ओजोन परत बहुत ज्यादा जरूरी होती है। इसलिए इसको लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है। बता दें कि सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों को ओजोन परत पृथ्वी तक पहुंचने से रोकती है। हालांकि लोगों की कुछ गलतियों के कारण ओजोन परत बहुत तेजी से क्षतिग्रस्त होती जा रहा है। तो आइए जानते हैं कि ओजोन परत क्या होती है और यह दिन क्यों मनाया जाता है।

जानिए क्या होती है ओजोन परत

बता दें कि पृथ्वी के वायुमंडल में पायी जाने वाली सबसे ऊंची परतों में मौजूद एक परत को ओजोन परत कही जाती है। ओजोन परत का काम सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों को पृथ्वी में प्रवेश करने से रोकना होता है। यह कई तरह की हानिकारक किरणों से भी बचाव करती है। साल 1913 में इसकी खोज फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी।

कैसे हुई यह दिन मनाने की शुरूआत

साल 1970 में वैज्ञानिकों की खोज में यह बात पता चली कि ओजोन परत में छेद हो रहे हैं। ऐसे में इसकी सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र और 45 देशों ने मिलकर 16 सितंबर 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर साइन किए गए। वहीं ओजोन परत को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए कई देश एक साथ मिलकर काम करने लगे। फिर साल 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के लागू होने की सालगिरह पर यह दिन चुना गया।

इन बातों का रखें ध्यान

ओजोन परत को बचाने के लिए फ्रीज, एसी और वाहनों का काम इस्तेमाल करने का प्रयास करें।

अधिक से अधिक हरियाली ही ओजोन की परत को बचा सकती है।

इसलिए अपने आसपास पौधे जरूर लगाएं, जिससे की पृथ्वी को बचाया जा सके।

पॉलिथिन, गाड़ियों के टायर और प्लास्टिक आदि को भूलकर भी नहीं जलाना चाहिए।

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