हर साल 11 सितंबर को दिग्विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिग्विजय दिवस का यह दिन भारत के स्वर्णिम इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। यह दिन स्वामी विवेकानंद की विश्वविजयी यात्रा और उनके अद्वितीय योगदान की याद में मनाया जाता है।
हर साल 11 सितंबर को दिग्विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिग्विजय दिवस का यह दिन भारत के स्वर्णिम इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। इस दिन का नाता स्वामी विवेकानंद से है। यह दिन स्वामी विवेकानंद की विश्वविजयी यात्रा और उनके अद्वितीय योगदान की याद में मनाया जाता है। बता दें कि 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में विश्व धर्म महासभा में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की याद में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के भाषण ने विश्व पटल पर भारत की महान संस्कृति और हिंदू धर्म की उदारता को मजबूती से स्थापित किया था।
Digvijay Day 2025: हर साल 11 सितंबर को मनाया जाता है दिग्विजय दिवस, जानिए इतिहास और उद्देश्य

अनन्या मिश्रा । Sep 11 2025 12:20PM
हर साल 11 सितंबर को दिग्विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिग्विजय दिवस का यह दिन भारत के स्वर्णिम इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। यह दिन स्वामी विवेकानंद की विश्वविजयी यात्रा और उनके अद्वितीय योगदान की याद में मनाया जाता है।
हर साल 11 सितंबर को दिग्विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिग्विजय दिवस का यह दिन भारत के स्वर्णिम इतिहास में अहम भूमिका निभाता है। इस दिन का नाता स्वामी विवेकानंद से है। यह दिन स्वामी विवेकानंद की विश्वविजयी यात्रा और उनके अद्वितीय योगदान की याद में मनाया जाता है। बता दें कि 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो में विश्व धर्म महासभा में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की याद में मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के भाषण ने विश्व पटल पर भारत की महान संस्कृति और हिंदू धर्म की उदारता को मजबूती से स्थापित किया था।

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क्यों मनाया जाता है यह दिन
इस दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचारों और शिक्षाओं को समाज में फैलाना है। साथ ही स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज के विकास में योगदान देना है। दिग्विजय दिवस भारतीय संस्कृति, ध्यान, योग और विश्व शांति के विचारों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो की धर्म संसद में दिया गया भाषण देश, धर्म, राजनीति और विचारधारा की सीमाओं से परे था। क्योंकि यह भाषण सभी के लिए सार्वभौमिक था। यह स्वामी विवेकानंद के जादुई शब्द नहीं बल्कि उनके चरित्र, निस्वार्थ परिव्राजक जीवन और तपस्या के वर्ष थे। जिनको स्वामी विवेकानंद ने भारत के प्रति विश्व के दृष्टिकोण को बदलने का काम किया था।
बता दें कि स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरूआत, ‘मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों’ से की थी। इस शुरूआत ने वहां मौजूद जनसमूह का दिल जीत लिया था। वहीं विवेकानंद के संदेशों और विचारों ने विश्वभर में भारतीयता और हिंदुत्व के प्रति नई जागरुकता फैलाई थी।