सीहोर: मध्यान्ह भोजन सांझा चूल्हा, रसोईया प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ ने दिया मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

डे नाईट न्यूज़ बताईऐं सर हम आखिर बच्चों को सही भोजन नास्ता कैसे दे। आंगनबाड़ी में बच्चों को नास्ता बनाने की लागत राशि प्रति बच्चा 2.88 पैसे और कुपोषित बच्चों को 3.85 पैसे दी जा रही है इस राशि से बच्चों का पेट भरना मुश्किल हो रहा है। अफसर भोजन नास्ता के भुगतान करने पर भी 30 प्रतिशत कमीशन काट लेते है। बीते 12 सालों में शासन ने विधायकों सांसदों अधिकारियों कर्मचारियों के मानदेय में चार गुनी से ज्यादा बढ़ोतरी कर दी है लेकिन बच्चों के भोजन के लिए एक पैसा तक नही बढ़ाया है। हम चाहकर भी बच्चों में कुपोषण नही घटा पा रहे है और कुपौषण घटने के बजाए बढ़ता जा रहा है उक्त शिकायत मंगलवार को कलेक्ट्रेट में पहुंचकर मध्यान्ह भोजन सांझा चूल्हा, रसोईया प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ के पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं ने की है। महासंघ की सीहोर जिला अध्यक्ष रानी माथुर के नेतृत्व में महिला स्व सहायता समूहों संचालकों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन डिप्टी कलेक्टर सतीष राय को ज्ञापन दिया है।

महिला स्व सहायता समूहों संचालक महिलाओं ने कहा की जिले में बच्चों का विकास योजना कार्यालय सीडीपीओ के माध्यम से 20 से 30 फीसदी कमीशन भोजन नास्ता के भुगतान करने पर अफसरों के द्वारा लिया जा रहा है। जिससे बच्चों को भोजन नाश्ते की क्वालिटी ठीक नहीं मिल रही है और कुपोषण घटने के बजाए बढ़ता जा रहा गए। कई जिले में ठेका प्रथा पर भोजन नास्ता प्रदाय कराया जा रहा है। महिला स्व सहायता समूह के नाम पर ठेकेदार 50 से 150 तक आंगनबाडिय़ों पर भोजन नाश्ता सप्लाई कर रहे हैं जिनमें सीडीपीओ और जिला अधिकारी पार्टनर बन योजना को पलीता लगा रहे हैं। मध्याह्न भोजन पकाने के लिए कार्यरत रसोइयों को प्रतिदिन पारिश्रमिक 66 मजदूरी तय की है यह कैसी नैतिकता है किस आधार पर यह िमजदूरी तय की गई है यह सोचने योग्य है।

आंगनबाड़ी में बच्चों को नास्ता बनाने की लागत राशि प्रति बच्चा 2.88 पैसे और कुपोषित बच्चों को 3.85 पैसे दी जा रही है इस के स्थान पर 5 रुपए किए जाए एवं भोजन के 4.82 पैसे की जगह मंहगाई के दौर में 10 रुपए की जाए कुपोषित बच्चों का 3.85 पैसे की जगह 15 रुपए के मान से दिए जाए। रसोईया को दिए जाने वाले 500 प्रतिमाह को 2000 रूपये किए जाए।  सांझा चूल्हा राशि का भुगतान प्रति माह दिया जाए। प्राथमिक स्कूल में 100 ग्राम और माध्यमिक स्कूल में 150 ग्राम के स्थान पर प्राथमिक शाला में 200 ग्राम एवं माध्यमिक शाला में 300 ग्राम के मान से अनाज दिया जाए । 25 बच्चों के मान से गैस सिलेंडर शासन की ओर से प्रति माह उपलब्ध कराया जाए। प्राथमिक शाला में प्रति छात्र भोजन दर 5,45/- की जगह 10 रु प्रति छात्र की जाए।

माध्यमिक शाला में प्रति छात्र भोजन दर 8.17 पैसे की जगह 15 रुपए प्रति छात्र की जाए। रसोइयों को मानदेय कलेक्टर दर पर 6,000 रुपए प्रति माह दिया जाए। शाला में मध्याह्न भोजन संचालक स्व सहायता समूह अध्यक्ष सचिव को पारिश्रमिक के साथ शाला रसोईया एवं समूह अध्यक्ष/सचिव के जोखिम को द्रष्टिगत रखते हुए पांच लाख का नि:शुल्क सुरक्षा बीमा किया जाए। प्रांतीय महिला स्व सहायता समूह महासंघ को शासन की योजनाओं को क्रियान्वित करने में भागीदार बनाया जाए। महिला समूहों को शत-प्रतिशत मध्याह्न भोजन संचालन कार्य सौंपा जाए। भुगतान पर कमीशन काटने पर रोक लगाई जाए जैसे अन्य मांगे शामिल है।

संचालक शीला बैरागी शशक स्वयं सहायता समूह खुसमदा,संचालक मुन्नी बी नगमा स्वयं सहायता समूह सतोरिया,संचालक प्रेम बाई प्रिया स्वयं सहायता समूह निवारिया, संचालक ममता उदय स्वयं सहायता समूह बैरागढ़,संचालक महमूदा बी पंचमुखी स्वयं सहायता समूह हिरण खेड़ी,संचालक गायत्री अंजलि स्वयं सहायता समूह खजुरिया खुर्द, संचालक रानी, रानी स्वयं सहायता समूह सोठी,संचालक कृष्णाबाई लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह गुलखेड़ी,संचालक सुनीता बाई जानकी स्वयं सहायता समूह बैरागढ़ खुमान सहित अन्य समूह शामिल रहे।

Back to top button