भोपाल: भीम आर्मी कांग्रेस के साथ भाजपा को भी नुकसान पहुंचा सकती है

डे नाईट न्यूज़ भीम आर्मी ने भोपाल में जो जंगी प्रदर्शन किया यह कांग्रेस और भाजपा को चिंता में डालने वाला है। भीम आर्मी के महत्वाकांक्षी नेता चंद्रशेखर आजाद रावण जिस गंभीरता के साथ मध्यप्रदेश में खुद को लांच कर रहे हैं वह यहां के स्थापित दलों के लिए चिंताजनक है। भाजपा विरोधी मतों का विभाजन जहां कांग्रेस के लिए नुकासानकारी है, वहीं पिछड़े वर्ग में यदि सेंध लगती है तो इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा। भीम आर्मी ने मध्यप्रदेश में धमाकेदार एंट्री करने की कोशिश की है। जानकारों का मानना है कि भीम आर्मी को बहुजन समाज पार्टी का वोट बैंक मिल सकता है।

इसका कारण यह है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के बाद से बहुजन समाज पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। उत्तर प्रदेश में उसका वोट बैंक भाजपा और समाजवादी पार्टी में बंट गया था। मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी का आधारभीम आर्मी की तरफ खिसकता हुआ नजर आ रहा है। बहुजन समाज पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में लगभग 7.30 फीसदी मद मिले थे। बहुजन समाज पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में 27 सीटों पर पहले और दूसरे नंबर पर थी। जाहिर है यदि बहुजन समाज पार्टी का पांच फीसदी मत भी भीम आर्मी को मिला तो वह एक बड़ी ताकत बनकर सामने आएगी।

भीम आर्मी ने पिछड़ा वर्ग महासभा के साथ भी गठबंधन किया हुआ है। जाहिर है पिछड़ा वर्ग का यदि साथ भीम आर्मी को मिला तो इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा। प्रदेश के ओबीसी परंपरागत रूप से भाजपा के मतदाता हैं इसलिए भाजपा के रणनीतिकार नजदीक से गठबंधन कीरजानीति को समझ रहे हैं।भोपाल के प्रदर्शन में भीम आर्मी के नेतृत्व में गोंडवाना पार्टी भी शामिल हुई थी, जिसका महाकौशल में थोड़ा बहुत आधार है। जानकारों का मानना है कि भीम आर्मी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और पिछड़ा वर्ग समाज पार्टी यदि मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो यह गठबंधन दस फीसदी मत प्राप्त करने में सक्षम है।

इस गठबंधन में जयस और आम आदमी पार्टी शामिल नहीं हे। अभी तक जो संकेत मिले हैं उसके अनुसार जयस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग लड़ेंगे। यह दोनों भीम आर्मी के साथ जाएं इसकी भी संभावना नहीं है। जयस ने प्रदेश में 80 सीटों परल डऩे का ऐलान किया है। जबकि आम आदमी पार्टी प्रदेश की सभी 230 सीटों पर लड़ेगी। पार्टी ने इस संबंध में ऐलान भी कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने अपने महासचिव और राज्यसभा सदस्य डॉ. संदीप पाठक को मध्यप्रदेश की जवाबदारी दी है। चुनावी रणनीतिकार राघव चढ्डा भी आम आदमी पार्टी की ओर से मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव अभियान को मॉनिटर करेंगे। यदि आम आदमी पार्टी पूरी दमदारी के साथ चुनाव लडऩे की तैयारी में है। जाहिर है इससे सत्ता विरोधी मतों का बिखराव होगा, जिसका लाभ भाजपा को मिलेगा।

हालांकि, यह समीकरण इतना सरल और सीधा नहीं है। आम आदमी पार्टी कहीं-कहीं भाजपा को भी नुकसान पहुंचा सकती है। सिंगरौली में आम आदमी पार्टी की ओर से निर्वाचित मेयर रानी अग्रवाल भाजपा को नुकसान पहुंचा कर ही महापौर बन सकी हैं। इसलिए आम आदमी पार्टी के फैलाव से भाजपा भी चिंतित है। हालांकि आम आदमी पार्टी और जयस सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस का ही करेंगे। यदि भाजपा मतों से दस फीसदी मत भीम आर्मी आम आदमी पार्टी और जयस को मिलते हैं तो कांग्रेस के लिए 2023 में सरकार बनाना मुश्किल होगा।

कमलनाथ इन पार्टियों में अधिक से अधिक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और जयस से गठबंधन कर सकते हैं लेकिन इसमें दिक्कत यह है कि यदि जयस ने कांग्रेस से गठबंधन किया तो जयस में फूट पडऩा तय है। दूसरी बात यह है कि 2018 में जयस एक सीट पर मान गया था इस बार जयस कम से कम दस सीट की मांग करेगा। जाहिर है कांग्रेस के लिए इतनी सीटें देना मुश्किल होगा। यदि कमलनाथ ने जयस को पांच सीटें भी दी तो कांग्रेस में बगावत हो जाएगी। उधर, भाजपा के रणनीतिकार पूरी तरह से यह मानकर नहीं चल रहे हैं कि भीम आर्मी, जयस और आम आदमी पार्टी केवल कांग्रेस को नुकसान करेंगे। जाहिर है भाजपा भी प्रदेश में अन्यपार्टियों के उभार से चिंतित है।

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