ठगी को अंजाम देने वाले छह आरोपी गिरफ्तार

लखनऊ : वाराणसी में अब तक कि सबसे बड़ी ठगी का पुलिस ने खुलासा कर दिया है। साइबर ठगों ने महिला शिक्षक से 3.55 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया था। बड़ी बात ये है कि इस साइबर ठगी को अंजाम साइबर ठगों ने पुलिस अधिकारी बनकर अंजाम दिया। डरकर पीड़िता ने अपना बैंक खाते का डिटेल दे दिया और ठगों ने खाते से तीन करोड़ पचपन लाख रुपये उड़ा लिए। जब महिला शिक्षक को ठगी की आशंका हुई तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इतनी बड़ी ठगी सुनकर वाराणसी पुलिस भी आनन-फानन में सक्रिय हुई और जल्द ही सभी ठगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम मो. तौफिक खान, सरफराज आलम, नुरूलहुअदा, आरिफ अहमन खान , ओम अश्विन भाई गोयानी, नीरव बट्क भाई गोटी है। इसमें चार लखनऊ के रहने वाले है और दो गुजरात के है।पिछले 8 मार्च को वाराणसी की रहने वाली शिक्षिका शम्पा रक्षित को आठ मार्च की सुबह नौ बजे एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने उनसे कहा, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉर्टी से बोल रहा है। दो घंटे में आपका फोन बंद हो जाएगा। आपके पास अभी पुलिस का फोन आएगा । कुछ ही देर बाद एक कॉल आता है और कॉल करने वाला अपने आपको महाराष्ट्र के विरले पार्ले पुलिस इंस्पेक्टर विनय चौबे बताता है। कहता है कि आपका दूसरा फोन आपराधिक गतिविधियों में शामिल है। एक के बाद एक मोबाइल फोन पर सवाल पूछे। पूरे परिवार को झांसे में ले लिया। इसी के साथ परिवारवालों से वीडियो कॉल के नाम पर स्काइप ऐप डाउनलोड करवाया और उनके खातों की जानकारी ले ली और तीन करोड़ पचपन लाख की ठगी को अंजाम दे दिया। पीड़िता को ठगी का अहसास होने पर वाराणसी में थाने जाकर मुकदमा दर्ज कराया।उक्त प्रकरण को पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने गंभीरता पूर्वक से लेते हुए पुलिस उपायुक्त अपराध चंद्रकांत मीना को पर्दाफाश करने का निर्देश दिया। जिसके तहत तीन टीमों का गठन किया गया। इसके बाद कॉल डिटेल, लोकेशन ट्रेस किया गया। दो ठगों का लोकेशन लखनऊ मिला, जो सगे भाई हैं और दो बड़े बैंकों में अधिकारी रैंक पर हैं। इसके अलावा दो गुर्गे, उनके रिश्तेदार और दो साइबर एक्सपर्ट गुजरात के निवासी हैं।  पुलिस ने टीमें भेजकर इन्हें गिरफ्तार किया।  अभियुक्तों से पूछने पर बता रहे है कि हमलोग योजनापुर्वक पर्व में प्राप्त विभिन्न मोबाइल नंबर पर फोन करते है और बताते कि आपका सिम टेलिकाम रेगुलेटरी अथारिटी द्वारा अवैध कार्यों में लिप्त होने के कारण बंद किया जा रहा है।  इसके बाद हमलोग फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर कुछ देर बाद फोन करते है और बताते है कि आपके द्वारा सिम के माध्यम के अवैध कार्य व पैसों का लेन देन किया जा रहा है, आपके खिलाफ अरिस्ट वारंट जारी हआ है, आपको पूछताछ के लिए थाने पर आना होगा और विश्वास दिलाने के लिए अपना एक फर्जी बेवसाइट का पता भी देते है और बताते है कि आप उस पर जाकर अपना अरेस्ट वारंट देख सकते है।आने में असमर्थतता जताने पर हमलोग रङढए अढढ डाउनलोड करवाते है और स्क्रीन शेयर कर लेते है और परिवार व बैंक संबन्धित समस्त जानकारी ले लेते है , उसके बाद गिरफ्तारी का डर दिखाते है , लगातार दवाव बनाते हुए विश्वास में लेते है और खाते को चेक करते हुए पैसा होने पर , समस्त पैसा तथाकथित फइक के बैंक खाता में ट्रासफर करवाते है और विश्वास दिलाते है कि आपका पैसा बाद जांच करने वापस आपके खाते में आ जायेगा और इस तरह से हमलोग विभिन्न खातों पैसा ट्रासफर करा लेते है। इसी तरह से वाराणसी निवासी शम्पा रक्षित के फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर गिरफ्तारी का डर दिखाकर तीन करोड़ 55 लाख का धोखाधड़ी कर लिया गया और खाते में आये हुए पैसों के परे भारत के विभिन्न जनपदों से योजनानुसार पूर्व में खोले गये खातों से चेक व एटीएम के माध्यम से निकाल लेते है। पुलिस ने इनके पास से 63 लाख की नकद बरामद किए और बैंक के खाते से 65 लाख सीज करवाया है। वाराणसी पुलिस अब इन्हें रिमांड में लेकर ठगी किये गए पूरे रकम को बरामद करने के लिए पूछताछ करेगी।  साथ ही इनके द्वारा अन्य ठगी के मामलों की कलई खोलेगी।

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