भोपाल ,30 से 35 साल के युवाओं में भी ग्लूकोमा की शिकायत, अस्पतालों में हर रोज 15 से 20 मरीज आ रहे सामने

भोपाल : आपके चश्मे का नंबर बार-बार बदल रहा है, आँखों में खुजली और आंसू आने के साथ सिरदर्द भी रहता है, तो यह लक्षण कालापानी यानी ग्लूकोमा के भी हो सकते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, कभी 50 की उम्र के बाद होने वाली बीमारी ग्लूकोमा अब युवाओं को भी हो रही है। हालांकि इसका सटीक कारण नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि बिगड़ती लाइफ स्टाइल के चलते युवाओं में डायबिटीज के मामले बढऩे का असर आंखों पर भी हो रहा है। स्थिति यह है कि शहर में औसतन हर रेाज ओपीडी में 15 से 20 मरीज ग्लूकोमा के आरहे हैं। इनमें से 40 फीसदी की उम्र 40 वर्ष से कम है। साइलेंट किलर होती है बीमारी : नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएस कुबरे बताते हैं कि वे बीमारी साइलेंट किलर है। 70 प्रतिशत मरीजों को रोशनी जाने के बाद उसका पता लगता है। इसमें धीरे-धीरे आंखों की रोशनी चली जाती है। इसमें रेटिना को दिमाग से जोडऩे वाली ऑप्टिक नव्र्स क्षतिग्रस्त हो जाती है। उनके  अनुसार 40 की उम्र के बाद प्रत्येक व्यक्ति को समय-समय पर आंखों के डॉक्टर के पास जाना चाहिए। खानपान और व्यायाम जरूरी : नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. केके अग्रवाल के अनुसार, हेल्दी डाइट आंखों के लिए फायदेमंद है। विटामिन, मिनरल्स, फोलेट व प्रोटीन फूड्स  से आंखों की रोशनी सही रहती है। यदि ग्लूकोमा है तो वह कंट्रोल में रहेगा। एक्सरसाइज करके भी इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।  

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