लखनऊ : आज विश्व की पहली वैदिक घड़ी के निर्माता और आविष्कारक आरोह श्रीवास्तव का प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में भव्य स्वागत किया गया।
इस घड़ी का लोकार्पण 29 फरवरी को उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया था।
मूल रूप से गोमती नगर लखनऊ के निवासी आप श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि इंग्लैंड में मर्चेंट नेवी की पढ़ाई करते समय उनके मन में वैदिक घड़ी बनाने का विचार आया था यह घड़ी भारतीय काल गणना के 30 मुहूर्त पर आधारित है।
उज्जैन को सृष्टि के आरंभ से ही काल गणना का केंद्र माना जाता है वैदिक घड़ी को कॉल गणना के समस्त घटकों को समाहित करके बनाया गया है इसमें भारतीय पंचांग समाहित है विक्रम संवत मांस ग्रह स्थिति योगभद्र स्थिति चंद्र स्थिति पाव शुभ अशुभ मुहूर्त घाटी नक्षत्र जयंती व्रत त्यौहार चौघड़िया सूर्य चंद्र ग्रहण ग्रह नक्षत्र ग्रहण के परिग्रहण सब इसमें स्वाभाविक रूप से समाहित किए गए हैं।
आरोह श्रीवास्तव के अनुसार वैदिक घड़ी 30 मुहूर्त की घड़ी है यह आज सूर्य उदय से कल सूर्य उदय तक के कालखंड को 30 मुहूर्त में विभाजित करती है यह घड़ी 30 घंटे 30 मिनट और 30 सेकंड की है जिसे प्राचीन काल की भाषा में 30 घंटे 30 मिनट 30 कास्था कहा जाता था।
यह वैदिक घड़ी जो दो सूर्योदय का कालखंड है इसे निर्धारित करने की वजह से जब भी शून्य बचता है उसे समय उसे स्थिति पर सूर्य उदय हो रहा होता है जो की 24 घंटे की प्रणाली पर बनी हुई घड़ियां नहीं बता पाती हैं। आमतौर पर लोगों को स्टैंडर्ड टाइम देखने की आदत है किसी तरह का कोई भ्रम ना रहे इसलिए वैदिक घड़ी में वैदिक काल के साथ-साथ स्टैंडर्ड टाइम के साथ ग्रीन व्हिच टाइम की भी व्यवस्था की गई है।
आरोह श्रीवास्तव ने बताया कि इसका ऐप भी उपलब्ध है जिसको मोबाइल पर डाउनलोड करके आसानी से घड़ी देख सकते हैं। कार्यक्रम का आयोजन अनुपम श्रीवास्तव क्षेत्र संयोजक पूर्वी उत्तर प्रदेश स्वदेशी जागरण मंच द्वारा किया गया जिसमें पत्रकारों सहित उनके अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।