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डे नाईट न्यूज़
- चार एचआईवी पीडि़त बंदियों का उपचार के साथ हो रहा बेहतर प्रबंधन
- क्षय रोगियों का कारागार के चिकित्सा कर्मियों की देखरेख में इलाज शुरू
जिला कारागार में निरुद्ध कैदियों की क्षय रोग व एचआईवी की जांच की गयी। इस जांच में कारागार के चार बन्दी एचआईवी पॉजिटिव मिले, वहीं दो क्षय रोगी भी खोजे गये हैं । एचआईवी पीडि़त बन्दियों के उपचार के साथ ही उनका जेल में बेहतर प्रबन्धन भी किया जा रहा है, ताकि वह स्वस्थ रहें।
यह जानकारी देते हुए जिला क्षय रोग अधिकारी व एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ एस डी ओझा ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह के निर्देशन में पिछले सप्ताह कारागार के बंदियों की जांच की गयी। जांच के बाद संभावित क्षय व एचआईवी रोगियों के रक्त व बलगम के नमूने लिए गए। इन नमूनों की गहन जांच के बाद चार बंदियों में एचआईवी के सिम्टम पाए गए। वहीं दो बंदियों के अन्दर क्षय रोग की पुष्टि हुई है । उनके इलाज के लिए आवश्यक प्रबंध कर दिए गए हैं।
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के जिला कार्यक्रम समन्वयक अमित आनन्द ने बताया कि क्षय रोगियों तथा एचआईवी पीडि़तों की दवाएं जेल के अस्पताल में रखवा दी गयी हैं। जेल के अस्पताल में उनका नाम अंकित करा दिया गया है। समय समय पर उनको दवाएं देने के लिए निर्देश दिए गए हैं । जेल में अब तक चार क्षय रोगी ठीक भी हो चुके हैं। जल्द ही क्षय व एचआईवी की जांच के लिए कारागार में एक वृहद कैम्प लगाया जाएगा।
क्षय रोग से पीडि़त दें इस बात का ध्यान
डॉ एसडी ओझा बताते हैं कि अच्छा खान-पान न करने वालों को टीबी ज्यादा होती है क्योंकि कमजोर इम्यूनिटी से उनका शरीर बैक्टीरिया का वार नहीं झेल पाता। जब कम जगह में ज्यादा लोग रहते हैं तब इन्फेक्शन तेजी से फैलता है। अंधेरी और सीलन भरी जगहों पर भी टीबी ज्यादा होती है । यह किसी को भी हो सकता है क्योंकि यह एक से दूसरे में संक्रमण से फैलता है। धूम्रपान करने वाले को टीबी का खतरा ज्यादा होता है। डायबीटीज के मरीजों, स्टेरॉयड लेने वालों और एचआईवी मरीजों को भी खतरा ज्यादा रहता है।
एचआईवी पीडि़त दें इस बात का ध्यान
डॉ ओझा बताते हैं कि एचआईवी के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है । ऐसे में इसके रोगी हमेशा हाथ धुलें , बीमार लोगों से दूर रहें और जितना संभव हो स्वस्थ रहें। अन्य बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए टीकाकरण कार्यक्रमों का ध्यान रखें। अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर न होने दें। ऐसे लोग कमजोर होते हैं और उनका वजन भी कम हो जाता है। ऐसे में उनके लिए रोजाना व्यायाम करना जरूरी है, ताकि मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत हो सकें। उन्हें ऐसा व्यायाम करना चाहिए, जिससे उन्हें शारीरिक तनाव न होने पाए। कम ये कम 8 घंटे की नींद जरूरी है, क्योंकि ज्यादा आराम से शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
खानपान पर विशेष ध्यान
जिला कारागार के जेलर जे आर वर्मा बताते हैं कि जिला कारागार में जितने भी रोगी हैं उनके खान पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। क्षय रोगियों को कारागार के अस्पताल में ही रखा जाता है, ताकि उनके जरिए संक्रमण अन्य कैदियों में न हो। एचआईवी और क्षय के जो रोगी मिले हैं उनको अतिरिक्त पोषक आहार दिया जाता है। उनके स्वास्थ्य की भी बराबर जांच कराई जाती रहती है।