
नई दिल्ली: दिल्ली में जहां-ए-खुसरो के 25वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूफी परंपरा और 13वीं सदी के सूफी कवि और संगीतकार अमीर खुसरो की खूब तारीफ की। उन्होंने सूफीवाद को भारत की बहुलतावादी विरासत बताया। उन्होंने कहा कि सूफी संत कुरान की आयतें पढ़ते थे और वेदों को भी सुनते थे। पीएम मोदी का सूफी सांस्कृतिक कार्यक्रम में दिया गया भाषण सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के देश में सूफी परंपरा से जुड़े लोगों तक पहुंचने के लगातार प्रयासों के अनुरूप है। इस आउटरीच के हिस्से के रूप में, भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा 2022 से देश भर के सूफी खानकाहों या स्थलों से जुड़े 14 हजार लोगों को साथ लाया है।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस कार्यक्रम के पीछे का विचार सूफीवाद को भारतीय इस्लाम के सार के रूप में पेश करना और इसकी बहुलतावादी परंपराओं को उजागर करना है। मध्ययुगीन मुस्लिम कवियों में भगवान कृष्ण जैसे हिंदू देवताओं के प्रति श्रद्धा के उदाहरण सामने हैं। न्यूज पोर्टल द इंडियन एक्सप्रेस ने बीजेपी माइनॉरिटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी से बात की। उन्होंने कहा, ‘इस कार्यक्रम के जरिए पीएम ने एक संदेश दिया है कि मुसलमानों को समझने की कोशिश करनी चाहिए।’
बीजेपी माइनॉरिटी मोर्चा के एक नेता ने कहा कि प्रस्ताव सूफियों को पार्टी में शामिल कराने का नहीं था। इसके बजाय, उनके साथ बातचीत शुरू करना था ताकि आम मुसलमानों से जुड़ा जा सके। उन्होंने कहा, ‘इस प्रयास में पार्टी को उन समस्याओं या मांगों के बारे में पता चलता है जिनका वे सामना करते हैं, और इन्हें सरकार तक पहुंचाया जा सकता है।’
मुस्लिम समुदाय कभी बीजेपी का समर्थक नहीं रहा है क्योंकि वे इसे केवल बहुसंख्यक समुदाय के हितों के लिए समर्पित पार्टी के रूप में देखते हैं। हालांकि, पार्टी के नेताओं का कहना है कि देश में हिंदुओं का एक बड़ा वर्ग पहले से ही इसके प्रभाव में है, भाजपा धीरे-धीरे मुसलमानों तक भी पहुंचने की कोशिश कर रही है।