योगी आदित्यनाथ-हरेला मानव और पर्यावरण के अंतर संबंधों का अनूठा पर्व

NITU SINGH -Bureau Chief

हरेला बाखई ने मुख्यमंत्री को दी ‘हरेला’ की पारम्परिक शुभकामनाएं
लखनऊ। पहाड़ की परंपरा परंपराओं को कायम रखे हुए खुशहाली और धन्य धान का प्रतीक श्रावण मास की कर्क संक्रांति को मनाए जाने वाला पर्व हरेला पर आज हरेला बाखई के सदस्यों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हरेला लगाकर पर्व की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर हरेला बाखई की बहनों ने भाई योगी आदित्यनाथ जी को उत्तराखंड की परंपराओं के तहत विधिवत तिलक व हरेला लगा करकर शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर अध्यक्ष हरीश उपाध्याय के साथ डॉ आभा जोशी, भीम त्रिपाठी, अंजना उपाध्याय, कमल जोशी, गीता पालीवाल, कैलाश उपाध्याय,गीता हड़िया, सतीश जोशी, एस पी सिंह, राजेश त्रिपाठी, ताराचंद जायसवाल, के एन पांडे,राम सिंह आदि उपस्थित थे।
अध्यक्ष श्री उपाध्याय ने बताया उत्तराखंड में श्रावण मास में पढ़ने वाले हरेला पर्व को अधिक महत्व दिया जाता है क्योंकि श्रावण मास भगवान शंकर को विशेष प्रिय है । भीमा सावन लगने से 9 दिन पहले 5 या 7 प्रकार के अनाज के बीच एक रिंगल या किसी छोटी टोकरी में मिट्टी डालकर बोया जाता है इसे सूर्य की रोशनी से बचाया जाता है और प्रतिदिन सुबह शाम पानी से सिंचा जाता है नौवे दिन टहनी से गुड़ाई की जाती है और दसवें दिन हरेला को काटा जाता है। घर के बुजुर्ग सुबह पूजा पाठ करके हरेला को देवताओं को चढ़ाते हैं उसके बाद घर के सभी सदस्यों को हरेला लगाया जाता है गांव में अभी भी हरेला को घर की देहली दरवाजें पर गोबर के लेप से हरेला को लगाया जाता है। डा आभा जोशी के अनुसार हरेला पर्व को मानव और पर्यावरण के अंतर संबंधों का अनूठा पर्व भी माना जाता है। इसे ग्राम देवता के मंदिर में सामूहिक रूप से भी लोग मानते हैं।
पर्वतीय महापरिषद के उपाध्यक्ष कैलाश उपाध्याय ने अवैध निर्माण की जद में आये वर्षों से रह रहे इन्द्रप्रस्थ नगर ,रहीम नगर, खुर्रमनगर,के निवासियों को बड़ी राहत देने व दुख के आंसूओं को खुशी के आंसू में बदलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का आभार व्यक्त किया।

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