बांदा के वैज्ञानिक ने आटोसेकंड फिजिक्स खोज में किए उत्कृष्ट शोध


विभिन्न शोध कार्य पर हो चुके हैं सम्मानित
प्रिचय- गोपाल दीक्षित
बांदा फिजिक्स में इस वर्ष आटो सेकंड को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इस विषय पर अमेरिका,
स्वीडन व जर्मनी ही नहीं भारत में भी बीते आठ वर्षों से आॅटोसेकंड फिजिक्स की विभिन्न
खोजों में वैज्ञानिक गोपाल दीक्षित उत्कृष्ट कार्य कर रहे है। जिनमे वह सफल भी हुए हैं। यह युवा
वैज्ञानिक उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कस्बा अतर्रा के किसान पुत्र है। वर्तमान में आईआईटी
मुंबई में फिजिक्स विभाग में बतौर प्रोफेसर पद पर कार्यरत हैं।
स्वीडन के महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम से प्रति वर्ष मानव जाति के लिए किए जाने वाले उत्कृष्ट
कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार दिया जाता है। इस वर्ष फिजिक्स में आॅटोसेकंड विषय से जुड़े हुए
वैज्ञानिकों क्रमशरू अमेरिका के पियरे अगस्टीनी, जर्मनी के फेंरेस क्रॉस व स्वीडन के एनी एल हुलियर को
नोबेल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया।फिजिक्स के आॅटोसेकंड विषय से जनपद के अतर्रा कस्बा का भी गहरा
जुड़ाव है। कस्बा के बजरंग नगर निवासी किसान कृष्णदत्त दीक्षित के पुत्र गोपाल दीक्षित बीते आठ वर्षों
से आॅटोसेकंड विषयो पर ही शोध कर रहे है और भारत मे सबसे बेहतर कार्य कर रहे हैं। इन्होंने
अपनी टीम के साथ आठ वर्षों में विभिन्न शोध किए हैं। आठ वर्षों से आॅटोसेकंड विषय
में आईआईटी मुंबई में प्रो.गोपाल दीक्षित ने आॅटोसेकंड लेजर चिरल अणु की गुणों को
समझने, आॅटोसेकंड लेजर कंप्यूटिंग प्रोसेसिंग बढ़ाने, आॅटोसेकंड लेजर का उपयोग ठोस
पदार्थों के इलेक्टंान की गति और रासायनिक क्रियाओं को समझने और क्वांटम कंप्यूटर को सामन्य
तापमान में काम करने के कुछ चुनिंदा शोध किए हैं। इसके अलावा भौतिकी के आॅटोसेकंड विषय
पर उत्कृष्ट कार्य करने वह अब तक डीएएडी फेलोशिप मैरी क्यूरी फेलोशिप रामानुजन
फेलोशिप मैक्स-प्लैंक इंडिया फेलोशिप डीएएडी रिसर्च एंबेसडर अवार्ड
और जेएसपीएस लांग-टर्म फेलोशिप पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं। श्री दीक्षित
ने कहा कि फिजिक्स में आॅटोसेकंड विषय पर नोबेल पुरस्कार मिलना गौरव की बात है। इस क्षेत्र में
पुरस्कार मिलने से कार्य करने में निश्चित मनोबल बढ़ेगा।

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