सर शादी लाल डिस्टलरी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री ओमपाल सिंह द्वारा प्लांट को स्मूथ संचालन हेतु सभी को प्रशिक्षण दिया।

मुजफ्फरनगर स्थित सर शादी लाल डिस्टलरी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री ओमपाल सिंह द्वारा प्लांट संचालन के साथ साथ तकनीकी बारीकियों एवं गुणवत्ता पूर्ण उत्पादों पर भी विशेष जोर दिया जाता है। इन्ही के अथक प्रयासों से पुनः सर शादी लाल डिस्टलरी बाजार में पुनः अपने को स्थापित करने की होड़ में आ खड़ी हुई है। इसके साथ ही ओमपाल सिंह ने कहा की सभी प्रमोटर और निदेशक का भी सहयोग है की कम्पनी को उसी ऊंचाई पर ले जाना है और दोबारा उत्तर प्रदेश की नंबर वन डिस्टलरी बनानी है। इसके साथ ही अब कंपनी अपने उत्पादों को यूपी के सभी जिलों में उपलब्ध कराएगी। ओमपाल जी से बात करते समय उन्होंने अपने लेखन शौक को भी साझा किया और निसंदेह उनके द्वारा रचित कविताएं एक एक शब्द अदभुत है उसकी कुछ प्रतिलिपिया।

उप महाप्रबंधक कार्मिक,एवं प्रशासन
डॉ सुनील कुमार मिश्रा

एहसास मेरे गांव का

मां पुकारा करती,
अरे!ओमपाल ओ भाई।
ऐसी चोरी हुई पलो की,लौट के वो सदा न आई
मर्म ऐसा था, उस आवाज में,बाद में शून्य ही है हर साज में।।
कितनी सत्ताएं बदली है, बात कहा जो थी उस राज में।
जिंदगी के आईने में देखा ये कल था, शेष नही कुछ आज में।
बस फक्र इस बात का है।
जन्मे बैल्ली धाम के राज्य में।
दुनिया में वो रंग कही थे।
जो उस रियासत के ताज में।
मां तो मां ही होती है।
मेरा गांव भी मां जैसा था।।
मेरा गांव तो ऐसा था।
मानो धूप में छाँव जैसा था।
जब सब बाल सखा शोर मचाते। ताऊ मथनी के घेर से।।
दौड़कर जान बचाते। बाबा घासी की लाठी के फेर से।।

शिकायते
आज दीवार तोड़ी है,
कल तो ये घर भी तोड़ेंगे।
भाई धीरज ध्यान से सुन,हम तेरे भाई को नही छोड़ेगे।
छोड़ी नही भाईयो ने कभी बाहें, कहा ढूंढे वो जुदा हुई रहे।
सामने पड़े हुऐ है,टुकड़े बिखरी यादों के।
न जाने कहा गए नगर उन कसमों वादों के।।
छोड़ सबको जाना था,तो याद भी अपनी ले जाते।।
कितना अच्छा होता,जन्म ही हम योगी बनकर लेते।
बस यही है हमारी यादों का पुंज।।

ओम पाल सिंह

एमएससी, पीजीडीबीएम, एल्को वेब कानपुर,

वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्लांट



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