भोपाल : लाख कोशिशों के बाद भी मप्र में भाजपा की नहीं कम हो सकी एंटी इंनकंबेंसी

 
भोपाल : । मध्यप्रदेश में भाजपा सेफ जोन में नहीं है। यह बात टीवी चैलनों के तमाम ओपिनियन पोल्स में सामने आ रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मध्य क्षेत्र इकाई का भी यही फीडबैक है। संघ ने भाजपा नेतृत्व को मैदानी नेताओं और कार्यकर्ताओं के उदासीनता के प्रति आगाह किया है। एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी पूरी तरह से काबू में नहीं आया है। भाजपा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर खतरे के निशान को स्पर्श करती नजर आ रही है। सूत्रों का कहना है कि खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भाजपा के चुनाव अभियान से संतुष्ट नहीं है। खास तौर पर पिछले चुनावों में जिस तरह से कार्यकर्ताओं में चुनाव नजदीक आते ही करंट दौड़ता था वैसा स्पार्क इस बार दिखाई नहीं दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि संघ परिवार भी इस बार उदासीन नजर आ रहा है। इस संबंध में चर्चा करने पर भाजपा के चुनावी की टीम के एक नेता ने बताया कि विधायक और मंत्रियों की नालायकी पार्टी को भारी पड़ रही है। इन विधायकों और मंत्रियों ने कार्यकर्ताओं की जमकर उपेक्षा की। भ्रष्टाचार और ठेके परमिट के दलालों के चक्कर में इन्होंने कार्यकर्ता के काम नहीं किए। रिश्तेदारों के जरिए न केवल कार्यकर्ताओं को प्रातडि़त किया गया बल्कि जमकर वसूली की गई। नतीजा यह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तमाम प्रयासों पर विधायकों और मंत्रियों की अकर्मणता औरा एरोगेंस पार्टी को भारी पड़ रहा है। इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण भी भाजपा के संगठन पर रसायन बिगड़ा है। इस संबंध में खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय नेतृत्व ने बहुत कोशिशें की हैं लेकिन फिर भी मामला नियंत्रण से अभी भी बाहर है। पार्टी को खास तौर पर मालवा निमाड़, महाकौशल और ग्वालियर चंबल अंचल की चिंता है। इन तीनों क्षेत्रों से करीब 140 सीटें आती हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 25 सितम्बर के भोपाल के महाकुंभ की भी समीक्षा की है। उन्होंने अलग-अलग जिलों से रिपेार्ट मंगाई है। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह की जो फीडबैक है उसके अनुसार भोपाल के महाकुंभ में 12 लाख कार्यकर्ता अपेक्षित थे लेकिन हकीकत में बमुश्किल चार लाख कार्यकर्ता पहुंचे। प्रदेश भाजपा के एक नेता के अनुसार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा कमान संभालने के फायदे और नुकसान दोनों दिख रहे हैं। नुकसान यह है कि प्रदेश के नेतृत्व को लगता है कि अब उनकी कोई अकाउंटेबिलिटी नहीं बची है। सारी जिम्मेदारी अमित शाह के पास है। इसलिए प्रदेश स्तर पर जितनी चिंता चुनाव अभियान को लेकर होनी चाहिए उतनी नहीं हो रही है। प्रदेश नेतृत्व अपने स्तर पर कुछ भी नहीं कर रहा है। उसका काम केवल आदेशों का पालन करना रह गया है। जाहिर है इस वजह से भी भाजपा का चुनाव अभियान प्रभावित हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा का मूल संगठन फिर भी सक्रिय है, लेकिन महिला, युवा और किसान मोर्चा सहित आदिवासी और दलित प्रकोष्ठ पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मध्य क्षेत्र इकाई के पदाधिकारियों ने इस संबंध में भाजपा को फीडबैक दिया है। कार्यकर्ताओं की उदासीनता सबसे बड़ी समस्या है। भाजपा के रणनीतिकारों का आंकलन है कि इस समय पार्टी 70 सीटों पर ही सेफ जोन में है। इये वो सीटे हैं, जहां भाजपा लगातार जीत रही है। जबकि 50 सीटें अभी भी बेहद कमजोर श्रेणी में हैं। 50 अन्य सीटों को भाजपा ने बी श्रेणी में रखा है जहां और अधिक परिश्रम की जरूरत है। प्रदेश की 60 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस और भाजपा बराबरी की स्थिति में है। भाजपा की टिकट वितरण की कवायद अंतिम चरण में है। पार्टी चौथी सूची संभवत: कल जारी कर देगी। इसमें भी 39 उम्मीदवार होंगे। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होने वाली है। इस बैठक के चलते केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपना भोपाल दौरा निरस्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के सभी नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है जहां चुनाव अभियान टिकट वितरण और अन्य मामलों पर विचार विमर्श किया जाएगा। अमित शाह दो अक्टूबर को भोपाल आ सकते हैं।      
अनिल पुरोहित

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