डे नाईट न्यूज़ वर्तमान में मौसम और बढ़ती गर्मी को देखते हुए हीट स्ट्रोक की भी संभावना बढ़ रही है जिससे आमजन, बुजुर्ग और बच्चों को स्वस्थ व सुरक्षित रखने, लोगों में बचाव हेतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अजय राजा ने सभी चिकित्सालयों में कूलर , शीतल पेयजल की व्यवस्था के साथ साथ लू/हीट स्ट्रोक से प्रभावित को तत्काल उचित व पर्याप्त ईलाज के लिए सभी आवश्यक दवाओं की उपलब्धता बनाए रखने, ओ आर एस वितरण काउंटर पर पर्याप्त मात्रा में ओ आर एस के पैकेट रखने के निर्देश दिए । मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चल रहा है जिसमें आशाएं घर घर ओ आर एस पैकेट का वितरण करने के साथ साथ आमजन में जागरूकता बढ़ाये जाने का कार्य भी कर रहीं हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा अजय राजा ने हीट स्ट्रोक से बचाव के लिये क्या करें और क्या ना करें को अपनाये जाने का सुझाव दिये जिसे हम सभी अपना कर हीट स्ट्रोक के खतरे से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि हीट वेव की स्थिति शरीर की कार्य प्रणाली पर प्रभाव डालती है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसके प्रभाव को कम करने के लिए निम्न तथ्यों पर ध्यान देना चाहिए-
क्या करें:-
- प्रचार माध्यमों पर हीट वेव/लू की चेतावनी पर ध्यान दें।
- अधिक से अधिक पानी पियें यदि प्यास न लगी हो तब भी।
- हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले हलके वस्त्र पहनें।
- धूप के चश्मे, छाता, टोपी व चप्पल का प्रयोग करें।
- अगर आप खुले में कार्य करते है तो सिर, चेहरा, हाथ पैरो को गीले कपड़े से ढके रहे तथा छाते।
का प्रयोग करें। - यात्रा करते समय पीने का पानी अपने साथ ले जाएं।
- ओ०आर०एस०, घर में बने हुये पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी (माड), नीबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें, जिससे कि शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके।
- हीट स्ट्रोक, हीट रेश, हीट कैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना सरदर्द, उबकाई पसीना
आना मूर्छा आदि को पहचानें। 9.यदि मूर्छा या बीमारी अनुभव करते है तो तुरन्त चिकित्सीय सलाह लें। - अपने घरों को ठण्डा रखें, पर्दे दरवाजे आदि का उपयोग करें तथा शाम को कमरों को ठण्डा करने हेतु इसे खोल दें।
- पखे गीले कपड़ों का उपयोग करे तथा बारम्बार स्नान करें।
- कार्य स्थल पर ठण्डे पीने का पानी रखें / उपलका करायें।
- कर्मियों को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करें।
- श्रमसाध्य कार्यों को ठण्डे समय में करने / कराने का प्रयास करें।
- घर से बाहर होने की स्थिति में आराम करने की समयावधि तथा आवृत्ति को बढ़ायें।
- गर्भस्थ महिला कर्मियों तथा रोगग्रस्त कर्मियों पर अतिरिक्त ध्यान देना चाहिए।
क्या न करें: - बच्चों को खड़ी गाडियों में न छोड़े। जब बहुत जरुरी हो तो बच्चों को पूरी तरह ढक कर ही बाहर ले जाएं। बच्चों की तरह ही बुजुर्गों का भी पूर्ण ध्यान रखें।
- 10 से 04 बजे के मध्य सूर्य की सीधी रोशनी में जाने से बचें।
- गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़े न पहनें।
- जब बाहर का तापमान अधिक हो तब श्रमसाध्य कार्य न करें।