सरकारी पैसे के अपव्यय की किसे चिंता है?

अजय दीक्षित
पिछले दिनों प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने अपने भाषण में कहा था कि पिछली सरकारों के दौरान सरकारी कोष के पैसे का दुरुपयोग होता रहा है । मोदी जी के सभी चुनावी भाषणों में और अन्यत्र भी वे कांग्रेस को भ्रष्टाचार, परिवादवाद और तुष्टिकरण की खदान कहते हैं । उनके निशाने पर सभी विपक्षी दल हैं, यद्यपि वे बीजू पटनायक को कुछ ज्यादा नहीं कहते, परन्तु उनकी यह तो दिली इच्छा होगी कि उड़ीसा में भी कमल खिले । तेलंगाना में जब भारत राष्ट्र समिति (पूर्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति) केसी राव की सरकार थी तो मोदी जी के अनुसार वे एन.डी.ए. में शामिल होने के लिए मोदी जी से प्रार्थना कर रहे थे जिसे मोदी जी ने ठुकरा दिया । कहते हैं आन्ध्र में तेलुगू देशम फिर से एन.डी.ए. का हिस्सा हो रही है । परन्तु यह चन्द्रबाबू नायडू की मजबूरी होगी क्योंकि भ्रष्टाचार के मामले में वे जेल जा चुके हैं और वर्तमान में जमानत पर हैं परन्तु फिर से गिरफ्तारी का वारंट उनके सिर पर है । वर्तमान में वहां के मुख्यमंत्री अपनी कांग्रेस का विलय भी एन.डी.ए. में चाहते हैं ।


  पिछले दिनों सरकारी विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी को फटकार लगाई थी कि आपके पास अपने कारनामें विज्ञापन में देने के लिए तो पैसे हैं परन्तु दिल्ली मेरठ रैपिड रेल के लिए अपने हिस्से का पैसा नहीं देते ।
  आजकल हर टी.वी. चैनल पर सरकार की ओर से मोदी की गारंटी के विज्ञापन आ रहे हैं । कोई बसों में चूर्ण बेचने जैसा मोदी की गारंटी का पर्चा बांट रहा है जिसमें 5 साल तक मुफ्त राशन की सौगात है । एक छोटी बच्ची कहती है कि उसकी देखभाल उसकी मां करती है और उसकी मां की देखभाल मोदी जी करते हैं किसी को नल में जल देकर, किसी को गैस का सिलेण्डर देकर किसी को मुफ्त राशन देकर । एक साइकिल में जा रहा बुड्ढा कहता है कि अब तो मोदी की गारंटी पूरी होने की भी गारंटी है । ये विज्ञापन शुद्ध रूप से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर है, परन्तु इनका खर्च पार्टी से न जाकर भारत सरकार के खाते से जा रहा है । पंजाब सरकार के भी खूब विज्ञापन आ रहे हैं । केजरीवाल तो विज्ञापन देने में माहिर हैं ही । उत्तराखण्ड सरकार का समान नागरिक संहिता का विज्ञापन सरकारी खर्च पर खूब आ रहा है ।


विपक्षी आरोप लगाते हैं कि सन् 2014 में मोदी जी दो जगह से खड़े हुये थे । दोनों जगहों से उनकी जीत सुनिश्चित थी । फिर वे गुजरात से क्यों खड़े हुए । वहां से त्यागपत्र देकर वाराणसी की सीट रखी कि मां गंगा और पशुपतिनाथ ने उन्हें बुलाया है । जय शिव शंकर जय मोदी जी ! आजकल जहां भी मोदी जी जाते हैं, वहां की परियोजनाओं का लोकार्पण करते हैं । उनकी सुरक्षा इंतजाम में एक अनुमान के अनुसार 10 करोड़ खर्च होता है । वे स्वयं ही इंटरनेट की बात करते हैं । डिजिटल इण्डिया की बात करते हैं, तो विपक्षी आरोप लगाते हैं कि क्यों कर वे स्वयं व्यक्तिगत उपस्थित होकर उद्घाटन या शिलान्यास करते हैं जबकि ऐसा वे डिजिटल भी कर सकते हैं । उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से सुरक्षा में भी 10 करोड़ खर्च होते हैं । अन्य व्यय अलग से हैं । परन्तु यह आरोप तथाकथित विपक्ष पर भी लगता है । कहते हैं कि राहुल गांधी जहां जाते हैं, वहां उन्हें मिली सुरक्षा के कारण उनकी सरकारी कार भी हवाई जहाज से जाती है । अभी खडग़े जी को जेड प्लस सुरक्षा दी गई है ।

लोकसभा सांसद या राज्य विधानसभा विधायक या मुख्यमंत्री या मंत्री या अन्य कोई जब भी अपनी पार्टी के प्रचार के लिए जाता है तो उसका उस दिन का वेतन, भत्ता, कटता नहीं है । भारत में किस चुनाव आयोग की हिम्मत है कि कहें कि जब ऐसे लोग अपनी पार्टी के प्रचार के लिए जाते हैं तो उसे दिन का वेतन भत्ता उन्हें नहीं दिया जाये । असल में सरकारी खजाने का बहुत बड़ा भाग तो वेतन भोगी कर्मचारी देते हैं क्योंकि उनके वेतन से ही इनकम टैक्स कट जाता है । शेष उद्योगपति या प्राइवेट नौकरी वाले मजे कर रहे हैं । विपक्ष का आरोप है कि बहुत बड़े-बड़े उद्योगपतियों के बैंक से लिए कर्ज माफ कर दिये गये हैं ।
असल में हम जब आज रामकाज की बात करते हैं तो वाल्मीकि रामायण में बहुत विस्तार से राम जी भरत को शासन करने की नीति समझाते हैं । मनु स्मृति व अन्य धर्म ग्रंथों, व संस्कृत की सार्वजनिक कृतियों में भी राजा के लक्षण बतलाये गये हैं । भागवत महापुराण में इस पर बहुत विस्तार से चर्चा है । नीति तक आदि ग्रंथों में भी विस्तार से राजनीति समझाई गई है ।
 अच्छा हो इन पर आचरण भी हो । यूं ताजा उदाहरण तो अटल जी का राजधर्म पर मोदी जी के लिए है । राजनीति धर्म के बिना अधूरी है । मोदी जी भी दृण-दृण संकल्पी हैं । वे निश्चय ही राजकोष के अपव्यय को रोककर राजधर्म पर विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि पक्ष और विपक्ष सभी उस पर आचरण करें । क्योंकि अंतत: देश बड़ा है– व्यक्ति नहीं । अस्तु शुभस्तु ।

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