कौशाम्बी: एलिया महदी के घर हजरतगंज में आयोजित हुई महफ़िल

डे नाईट न्यूज़ यहूदी ताकतों ने जब इस्लाम को खत्म करने के लिए मुसलमानों पर हमला बोला तो नबी ए करीम ने उनके खिलाफ खड़े होकर उनका मुकाबला किया। ख़ैबर जैसे मज़बूत क़िले को मौला अली अलैहिस्सलाम के हाथों फतह कराकर यहूदियों को शिकस्त दी थी। उसी की याद में जश्ने फतेह ख़ैबर का आयोजन किया गया। शुरुआत तेलावत ए कुरआन से महज़्यार हैदर ने किया। महफ़िल रात 8 बजे से शुरू हो कर देर रात तक चली। मुक़ामी शायरों ने कलाम पेश कर वाह वाही बटोरी।

 बुधवार को जिले भर में जंगे ख़ैबर की जीत का जश्न मनाया गया। सुबह से आरम्भ हुआ यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। कार्यक्रम में लोगों ने बढ़चढ़कर प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की शुरुआत तेलावत से हुई तो शायरों ने अपने कलाम पढ़ वाह वाही बटोरी। इस क्रम में हसन रिज़वी ने जब यह शेर पढ़ा तो बैठे लोग नारा लगाने लगे। उन्होंने पढ़ा–जामे कौसर भी मिले साकिये कौसर के बगैर- ख्वाहिश ए खुल्द भी है आले पयम्बर के बगैर। इसके बाद ज़फ़र ने पढ़ा–क़ल्ब में हैदरे कर्रार की उल्फ़त रख दी- मेरी मां ने मेरी मेराज पा किस्मत रख दी। इसके बाद कार्यक्रम का संचालन कर रहे रौशन करारवी ने बेहतरीन कलाम पेश कर वाह वाही बटोरी उन्होंने पढ़ा–मौला तुझे इस वास्ते कहते हैं हम हैदरे- ख़ैबर तेरे हाथों पा खिलौना सा लगे है।

मौलाना सैयद ज़मीर हैदर ने तक़रीर करते हुए कहा कि जब यहूदियों ने मुसलमानों पर हमला किया। उनको खत्म करने के इरादे से फौज लेकर चढ़ाई की तो नबी ए करीम ने भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत किया। इसके बाद यहूदी किले( ख़ैबर) पर जवाबी हमला बोला। यहूदियों ने 39 दिन तक मुसलमानों की फौज को हराते रहे।.आखिर में नबी ए करीम बे 40 वें दिन मौला अली को ख़ैबर फतह करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। मौला अली ने यहूदियों के कमांडर इन चीफ मरहब को कत्ल किया तो यहूदी फौज में भगदड़ मच गई। वह सब भागकर ख़ैबर के किले में छुप गये।

मौला अली अलैहिस्सलाम ने ख़ैबर के दरवाजे को दो उंगलियों से उखाड़ कर फेंक दिया। उसके बाद यहूदियों ने अपनी हार स्वीकार करते हुए सरेंडर कर दिया था। तक़रीर के बाद मीठे पकवान पर नज़्र दिला कर लोगों का मुंह मीठा कराया गया। इस मौके पर सैयद आगा सिबतैन हैदर, एसएम महदी, सैयद हमुद अहमद, मौलाना सैयद अलमदार हसनैन रिज़वी, मौलाना सैयद एहतेशाम हैदर रिज़वी, शकील रहीमपुरी, मासूम,महमूद, शराफत हुसैन, मोहम्मद ज़मीर और सिब्ते मोहम्मद सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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