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इंदौर, मप्र हाईकोर्ट ने अहम निर्णय में कहा है कि रेल अथॉरिटी रेलवेएक्ट की धारा 124-ए के तहत दावेदार को मुआवजे का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। भले ही वह चलती ट्रेन से उ तरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। रेलवे एक्ट 1989 की धारा 124-ए अप्रिय घटनाओं के कारण मुआवजे से संबंधित है। मप्र हाई कोर्ट की मुख्य बेंच ने कहा इस तरह का परिदृश्य एक्ट की धारा 124-ए के प्रावधान से प्रभावित नहीं होगा अपीलकर्ताओं के वकील यह दिखाने के लिए कानून के किसी भी प्रावधान को इंगित नहीं कर सके कि चलते ट्रेन से उतरने का कोई भी प्रयास अपराध है। इसलिए रेलवे एक्ट 1989 की धारा 124-ए मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में लागू नहीं होगी। मप्र हाईकोर्ट ने कहा रीना देवी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि चलती ट्रेन से उतरने का प्रयास रेलवे एक्ट 1989 की धारा 124-ए के तहत नहीं आएगा। इन परिस्थितियों में यह न्यायालय (मप्र हाई कोर्ट) ने इस राय पर विचार किया कि क्लैम ट्रिब्यूनल ने दावेदारीा के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मृतक वैध रूप से जारी रेलवे टिकट के साथ ट्रेन में यात्रा नहीं कर रहा था और उसका दावा रेलवे एकट की धारा 124-ए से प्रभावित है। तदानुसार यह माना जाता है कि दावेदार मुआवजे की मांग करने के हकदार हैं। पक्षकारों के प्रस्तुतीकरण और रिकार्ड पर मौजूदा दस्तावेजों की जांच करते हुए हाई कोर्ट ने अपील में योग्यता पाई। बिना वैध टिकट के यात्रा कर रहे मृतक के संबंध में ट्रिब्यूनल द्वारा उठाई गई आपत्ति के संबंध में अदालत ने कहा कि रेलवे पुलिस बल द्वारा तैयार रोजनामचा (रिपोर्ट) में उल्लेख किया तथा कि उसके पास वैध टिकट था। भले ही ट्रिब्यूनल के समक्ष टिकट जमा नहीं किया गया किंतु यह नहीं माना जा सकता कि मृतक टिकट के बिना यात्रा कर रहा था। रोजनामचा से यह भी स्पष्ट होता है कि मृतक बिल्कुल अकेला था और उसके बच्चों को मोबाइल से सूचना दी गई। मृतक गंभीर जख्मी हालत में था और उसके साथ उसके परिवार का कोई सदस्य नहीं था इसलिए घायल से टिकट को सुरक्षितरखने की उम्मीद नहीं थी। जिस तरह से रोजनामचे में लिखा है कि टिकट मृतक अपने साथ ले जा रहा था और उसके कब्जे में था। इस प्रकार इस न्यायालय का मत है कि क्लेम ट्रिब्यूनल ने अवैधता की है। दावेदारों ने यह दिखाने के लिए कि मृतक वैध रूप से जारी रेलवे टिकट के साथ यात्रा कर रहा था। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य फैसले का उल्लेख करते हुए माना कि चलती ट्रेन से उतरना एक्ट की धारा 124-ए के प्रावधान के तहत नहीं आएगा। उसी के परिणामस्वरूप यह निष्कर्ष निकाला गया है कि अपीलकर्ता मुआवजे की मांग करने के हकदार हैं। कोर्ट ने अपील की अनुमति देते हुए मुआवजे की राशि के संबंध में निर्णय लेने के लिए मामले को पुन: अधिकरण के पास भेज दिया। मामले के तथ्य यह थे कि अपीलकर्ता के पति (मृतक) की चलती ट्रेन से उतरने की कोशिश के दौरान दुर्घटना हो गई। उसके परिवार के सदस्यों ने अथॉरिटी से मुआवजे की मांग को लेकर रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में दावा लगाया। ट्रिब्यूनल ने उनके दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि यह एक्ट की धारा 124-ए के प्रावधान से प्रभावित है। इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने पाया कि मृतक ेके पास वैध टिकट नहीं था, क्योंकि दावेदारों ने अपने आवेदन के साथ इसे जमा नहीं किया इससे व्यथित होकर मृतक के परिजनों ने मप्र हार्ठ कोर्ट की शरण ली।