पांचवी सूची जारी होने के बावजूद नही तय हो पाया है उम्मीदवार
सुनील सिंह
गाजीपुर:लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी पार्टियों द्वारा अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने का सिलसिला जारी है,उत्तर प्रदेश में भी लगभग सारी पार्टियों ने अपने अपने प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतार दिए है।बात अगर पूर्वांचल की सबसे हाईप्रोफाइल सीट गाजीपुर की करे तो जहा इंडिया गठबंधन से सपा ने अफजाल अंसारी को अपना उम्मीदवार बनाया है जब कि बीजेपी अभी तक पांचवी सूची जारी होने के बावजूद अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं कर पाई है।पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ साथ बीजेपी के समर्थको को भी नही समझ आ रहा है कि आखिर पेंच कहा फस रहा है।लगभग महीनो होने को है सपा ने अफजाल अंसारी को अपना उम्मीदवार बनाया है जिसका नतीजा है कि अफजाल अंसारी क्षेत्र में जनता के बीच अपनी पैठ बनाने में लगे है।भाजपा गाजीपुर से आखिर किसको चुनाव लड़ाएगी अभी भी संशय बरकरार है।
गाजीपुर से 2014 में मनोज सिन्हा को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था जिसमे सिन्हा ने जीत दर्ज कर सदन में पहुंचने में कामयाब रहे वही बाद में उन्हें केंद्र में रेलवे मंत्रालय का कार्यभार भी सौंपा गया जिसमे उन्होंने जिले में गाजीपुर सहित पूर्वांचल में जबरदस्त काम कराया था हालांकि 2019 में मनोज सिन्हा को बीएसपी से प्रत्याशी बनाए गए अफजाल अंसारी के हाथो हार का मुंह देखना पड़ा यह अलग बात थी कि उस समय बीएसपी और सपा का गठबंधन था जिसका नतीजा रहा कि सिन्हा को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा,लेकिन इतना जरूर था कि मनोज सिन्हा को पूर्व के चुनाव में मिले मतदान प्रतिशत से ज्यादा मत मिले थे।
जातीय समीकरण रहता है भारी
बात अगर गाजीपुर लोकसभा की करे तो यहा हमेशा से ही जातीय समीकरण पर चुनाव होते रहे है,इस सीट पर सर्वाधिक संख्या यादव मतदाताओं की है उसके बाद दलित एनव मुस्लिम मतदाता निर्णायक मतदाता है।गाजीपुर सीट पर जहा सर्वाधिक यादव 5 लाख से ज्यादा है,दलित भी लगभग 5 लाख के आस पास है,जब की मुस्लिम मतदाता साढ़े तीन लाख के पास है,कुशवाहा लगभग 2 लाख से ज्यादा है अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी लगभग 4 लाख से ज्यादा है,जिसमे राजभर,निषाद,बिंद आदि के ये मतदाता कई जातियों और मतों में बटा हुआ है।बात राजपूत मतदाता की करे तो लगभग 3 लाख पचास हजार ब्राह्मण और भूमिहार मिलाकर लगभग 3 लाख है जबकि अन्य सवर्ण जिसमे कायस्थ और बनिया डेढ़ लाख से ऊपर है और अन्य लाख पचास हजार है।
आखिर वजह क्या है कि बीजेपी नही तय कर पा रही प्रत्याशी
बहुत दिनों से चर्चा थी कि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल बनाए गए मनोज सिन्हा की चुनाव में वापसी हो सकती है लेकिन अब नही लग रहा है कि मनोज सिन्हा चुनावी मैदान में उतर पायेंगे,भाजपा सपा से उम्मीदवार बनाए गए 5 बार विधायक और 2 बार सांसद रहे अफजाल अंसारी को हल्के में लेने के मूड में नहीं है यही कारण है कि बीजेपी यहां ऐसे प्रत्याशी घोषित करना चाहती है जो जातीय समीकरण के साथ साथ आम जनमानस के दिलों दिमागमें फिट बैठता हो।
किन नामो की हो रही है चर्चा
अभी तक गाजीपुर लोकसभा सीट से जिन नामों की चर्चा जोर शोर से हो रही है उसमे मनोज सिन्हा के साथ साथ उनके बेटे अभिनव सिन्हा,राधे मोहन सिंह,विजय मिश्रा,संतोष यादव का नाम चर्चा में बना हुआ है हालांकि एक बार हथियाराम मठ के मंडलेश्वर भवानी नंदन यति के नाम की चर्चा भी बनी हुई थी।
आखिर क्यों जरुरी है गाजीपुर के लिए मनोज सिन्हा
2014 में सांसद बनने के बाद केंद्र में रेलवे जैसे जिम्मेदार विभाग का मंत्रालय मिलने के बाद मनोज सिन्हा ने जनपद को विकास की खूब सौगात दी,जिसमे गाजीपुर में बने 1650 करोड़ रुपए की लागत से बने रेल कम रोड बृज की सौगात दी जिसमे ताड़ीघाट से मऊ रेल परियोजनाओं की सौगात जनपदवासियों को दी,चाहे बनारस-गोरखपुर फोर लेन सड़क निर्माण हो चाहे गाजीपुर मेडिकल कॉलेज हो सिन्हा ने जनपदवासियों को विकास की एक उम्मीद दिखाई।
क्या है जनता की राय
2019 में बीएसपी और सपा के संयुक्त गठबंधन से चुनाव जीते अफजाल अंसारी के प्रति एक एजेंसी द्वारा कराए गए ओपिनियन सर्वे में अफजाल अंसारी को गाजीपुर की जनता ने सिरे से नकार दिया है,जनता का कहना था कि ऐसे सांसद को क्या फायदा जिताने से जो 5 साल कभी दिखा ही नहीं जो कानून के डर से भागता फिरता रहा।खैर आने वाले कुछ दिनों में बीजेपी के साथ साथ बीएसपी भी जब अपना उम्मीदवार उतार देगी तब मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है।