गैंगस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी की सजा पर रोक के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट सोमवार को सुनाएगा अपना फैसला

गैंगस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी की सजा पर रोक के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट सोमवार को सुनाएगा अपना बड़ा फैसला

29 जुलाई को गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी की क्रिमिनल अपील पर आएगा फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट तय करेगा अफजाल अंसारी का सियासी भविष्य

4 जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी द्वारा दायर आपराधिक अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट 29 जुलाई को अपना बड़ा फैसला सुनाएगा। आपको बता दें कि स्वर्गीय मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से जुड़े गैंगस्टर एक्ट के एक मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा उन्हें सुनाई गई चार साल की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई है। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 जुलाई को सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने गैंगस्टर एक्ट में चार साल की कैद की सजा के खिलाफ गाजीपुर के सपा सांसद अफजाल अंसारी की क्रिमिनल अपील और सजा को बढ़ाने की मांग में दाखिल राज्य सरकार की अपील और दिवंगत विधायक कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय की पुनरीक्षण याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगी। बता दें कि इस मामले में अफजाल की याचिका पर 18 बार सुनवाई हुई जिसके बाद फैसला सुरक्षित रखा गया। 19 मई 2023 को पहली बार इस याचिका पर सुनवाई शुरू हुई थी और अब एक साल से भी ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद फैसले की घड़ी नजदीक आ गई है जिसमें कोर्ट के फैसले पर सबकी नजरें टिकी हुई है।

सोमवार 29 जुलाई को अफजाल अंसारी की याचिका पर गैंगस्टर एक्ट में सजा पर रोक लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का आने वाला फैसला बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि कोर्ट के फैसले पर अफजाल अंसारी का सियासी भविष्य पूरी तरह टिका हुआ है कि आखिर अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रहेगी कि नहीं। अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट से अफजाल अंसारी को राहत नहीं मिलती है तो उनकी लोकसभा सदस्यता जाना तय है। इस बार के लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी गाजीपुर सीट से समाजवादी पार्टी की टिकट से चुनाव लड़कर एक बार फिर सांसद बने है।

अबतक की सुनवाई के दौरान कोर्ट में क्या-क्या हुआ, इसपर एक नज़र

इलाहाबाद हाईकोर्ट में अफजाल अंसारी के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी, अजय श्रीवास्तव, डीएस मिश्र व अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गैंगचार्ट में कई सदस्य शामिल हैं लेकिन कार्यवाही केवल तीन लोगों के खिलाफ ही की गई है। ट्रायल कोर्ट में विवेचक का बयान राजनीतिक द्वेषवश की गई कार्यवाही की तरफ इशारा करता है। इसके अलावा मूल मुकदमे विधायक कृष्णानंद राय की हत्या केस में अफजाल अंसारी को बरी किया जा चुका है, उसी केस के आधार पर अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में सजा सुनाई गई है और गैंगस्टर एक्ट के इस मुकदमे के बाद उनके खिलाफ दो ही मामले दर्ज हुए और वो भी 2009 एवं 2014 के चुनाव को लेकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम से जुड़े हैं। स्वयं विवेचक ने ट्रायल कोर्ट में अपने बयान में कहा है कि चार साल तक वह मोहम्मदाबाद थाने के इंचार्ज रहे, अफजाल अंसारी के खिलाफ मुकदमा तो क्या किसी ने छोटी मोटी शिकायत भी नहीं की। ऐसे में अफजाल अंसारी की सजा बढ़ाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। अलबत्ता राजनीतिक द्वेषवश के मुकदमों में कानून के मुताबिक गैंगस्टर एक्ट लागू ही नहीं होता। इसलिए अफजाल अंसारी को सुनाई गई सजा निरस्त की जानी चाहिए। वहीं राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव और अपर शासकीय अधिवक्ता जेके उपाध्याय ने राज्य सरकार की तरफ से बहस में कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी को कम सजा सुनाई है। ट्रायल कोर्ट ने ऐसा करने के पीछे अफजाल अंसारी की आयु (70 वर्ष) और उनके दो बार सांसद एवं कई बार विधायक चुने जाने को आधार बनाया है जबकि उनकी आयु जब अपराध हुआ था, उस समय का देखना चाहिए और घटना के समय अफजाल अंसारी की आयु 58 वर्ष थी। ट्रायल कोर्ट ने अफजाल अंसारी के सांसद एवं विधायक चुने को भी कम सजा का आधार बनाया है लेकिन यह भी उचित नहीं किया गया क्योंकि जिन पर देश का भविष्य बनाने का दायित्व है, वे ही अगर अपराध करें तो उन्हें अधिकतम दंड दिया जाना चाहिए था। गैंगस्टर एक्ट में दो वर्ष से दस वर्ष की कैद की सजा व जुर्माने का उपबंध है लेकिन अफजाल अंसारी को सिर्फ चार साल की सजा मिली है जिसे बढ़ाए जाना बेहद ज़रूरी है।

स्वर्गीय विधयाक कृष्णानंद राय के बेटे के वकील ने क्या दलीलें दी…..

स्वर्गीय विधायक कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय के अधिवक्ता सुदिष्ट कुमार ने सरकार की ओर से प्रस्तुत तर्कों पर पूरी तरह सहमति जताई। उन्होंने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में गाजीपुर की स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए ने चार साल कैद की सजा सुनाई है जिसके खिलाफ अफजाल अंसारी ने अपील दाखिल की है। अपील में सजा को रद्द करने की मांग की गई है। विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड के आधार पर मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी और एजाजुल हक पर गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा कायम किया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व में अफजाल अंसारी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस पर अफजाल अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। उधर, राज्य सरकार और दिवंगत विधायक कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने हाईकोर्ट से अफजाल अंसारी की सजा 10 साल बढ़ाने की मांग की है। अफजाल की ओर से सरकार की अपील पर आपत्ति भी दाखिल की गई है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर स्थगनादेश देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट को अपील का निस्तारण 30 जून 2024 तक करने का निर्देश दिया था। 24 जुलाई 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके सांसद अफजाल अंसारी को जमानत तो दे दी थी लेकिन मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया, लेकिन उनकी संसद की सदस्यता बहाल नहीं हुई। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी जिसके परिणामस्वरूप उनकी संसद की सदस्यता बहाल हो गई और वा लोकसभा चुनाव लड़ने के भी पात्र हो गए। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट को सुनवाई में तेज़ी लाने का निर्देश देते हुए 30 जून तक मामले को निपटाने के आदेश दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई 30 जून की मियाद बीत जाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट उसके एक महीने के बाद अपना फैसला सुनाने जा रहा है।

क्या कहता है कानून….

जनप्रतिनिधित्व एक्ट के अनुसार किसी भी सांसद या राज्य विधायक को दो वर्ष या उससे अधिक के कारावास की सजा सुनाए जाने पर उसे ऐसी सजा की तारीख से अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा तथा सजा पूरी करने के बाद वह अगले छह वर्षों तक अयोग्य बना रहेगा। इससे पहले गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल 2023 को गैंगस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी को दोषी करार देते हुए चार साल जेल की सजा सुनाई थी और गैंगस्टर एक्ट के मामले में एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद अफजाल अंसारी को सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए उनकी सदस्यता बहाल कर दी थी। अब अगर इलाहाबाद हाईकोर्ट 29 जुलाई को अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखता है तो अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी और अगर ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए राहत देता है तो अफजाल अंसारी सांसद बने रहेंगे।

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