पीएम मोदी से फाल्के पुरस्कार की गरिमा बचाने की मांग, एआईसीडब्लूए ने लगाए गंभीर आरोप

अगर किसी प्रतियोगी परीक्षा में पूछा जाए कि साल 2024 का दादा साहब फाल्के पुरस्कार किसे मिला? और, प्रतिभागी इसके उत्तर में शाहरुख खान का नाम लिखकर आ जाए, तो गलती उसकी नहीं बल्कि उन सारे मीडिया घरानों की होगी जिन्होंने हाल ही में हुए दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (डीपीआईएफएफ) अवार्ड्स 2024 के समाचारों को हेडिंग में दादा साहब फाल्के पुरस्कार 2024 लिखकर प्रकाशित किया। इस गफलत को लेकर मुंबई फिल्म जगत से जुड़े लोगों में रोष बढ़ता ही जा रहा है और अब ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन (एआईसीडब्लूए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सबसे बड़े राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार की आड़ में हो रही इस उगाही पर रोक लगाने की मांग की है।


भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाला धुंडीराज गोविंद फाल्के को सिनेमा के प्रशंसक दादा साहब फाल्के के नाम से जानते हैं। उनको ही देश की पहली सिनेमाघरों में प्रदर्शित फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ (1913) बनाने का श्रेय दिया जाता है। फाल्के के नाम पर भारत सरकार हर साल भारतीय सिनेमा में अमिट योगदान देने वाली किसी शख्सियत को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार देती है। बीते साल ये पुरस्कार अभिनेत्री वहीदा रहमान को मिला। लेकिन मुंबई और देश के बाकी हिस्सों में दादा साहब फाल्के पुरस्कारों के नाम पर कई आयोजन होते रहे हैं। एआईसीडब्लूए के अध्यक्ष सुरेश श्यामलाल गुप्ता ने अब इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और एक राष्ट्रीय पुरस्कार से मिलते जुलते इन पुरस्कारों पर रोक लगाने की मांग की है।


हाल ही में मुंबई में आयोजित दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (डीपीआईएफएफ) अवार्ड्स 2024 में भारतीय सिनेमा के कई सितारों ने शिरकत की। मुंबई में हर साल ऐसे करीब दर्जन भर कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दादा साहब फाल्के के नाती चंद्रशेखर पुसालकर खुद इन पुरस्कारों का मीडिया के सामने विरोध करते हैं और फिर खुद ही इन पुरस्कारों में उपस्थित भी हो जाते हैं। पुसालकर कहते हैं, मैने देखा है कि लोग पैसे लेकर ऐसे लोगों को अवॉर्ड दे रहे है जो उस काबिल नहीं। एक बार मराठी की एक मशहूर अभिनेत्री का मेरे पास फोन आया कि अमेरिका में उनसे कोई दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड का आयोजक मिला है और अवॉर्ड के लिए दस लाख की मांग कर रहा है। मैं तो यह सुनकर भौचक्का रह गया और बहुत दुखी हुआ।’
ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे पत्र में लिखा है कि दिवंगत दादा साहब फाल्के का फिल्म उद्योग में उल्लेखनीय योगदान अद्वितीय है और उनका नाम भारतीय सिनेमा की पहचान का पर्याय है। यह निराशाजनक है कि उनके नाम पर धोखे से पुरस्कार समारोह आयोजित किए जाते हैं और इन पुरस्कारों का अवैध व्यापार किया जाता है।

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