डे नाईट न्यूज़ रेलवे बोर्ड ने ओडिशा में हुए भीषण ट्रेन हादसे के बारे में जानकारी देने को लेकर रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। बोर्ड की सदस्य (ऑपरेशन और बिजनेस डेवलपमेंट) जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि प्रारंभिक जांच में हादसे के पीछे सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी का पता चला है। उन्होंने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किलोमीटर प्रति घंटे की निर्धारित रफ्तार से चल रही थी और मुख्य लाइन की जगह लूप लाइन में खड़ी हुई मालगाड़ी से जाकर भिड़ गई।
सिन्हा ने बताया कि मालगाड़ी में लौह अयस्क भरा हुआ था, जिसके कारण वह पटरी से नहीं उतरी। उन्होंने आगे कहा, मालगाड़ी से टक्कर के बाद सबसे ज्यादा नुकसान कोरोमंडल एक्सप्रेस को हुआ, जो बड़ी संख्या में मौतों का कारण है। कोरोमंडल एक्सप्रेस की कुछ बोगियां उतरकर डाउन लाइन पर भी आ गई थीं। इस लाइन पर यशवंतपुर एक्सप्रेस 126 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से जा रही थी और उसकी आखिरी दो बोगियां भी हादसे का शिकार हो गईं।
रेलवे बोर्ड की सदस्य ने बताया, हमारा हेल्पलाइन नंबर 139 उपलब्ध है। हमारे वरिष्ठ अधिकारी हर कॉल का जवाब दे रहे हैं। हादसे में मृतक या घायल लोगों के परिवार के सदस्य हमें फोन कर सकते हैं और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वह उनसे मिल सकें। हम उनकी यात्रा और अन्य खर्चों का भी ध्यान रखेंगे। उन्होंने आगे बताया कि हादसे में घायल लोगों और उनके परिजनों को लगातार आर्थिक सहायता दी जा रही है।
रेलवे बोर्ड की अधिकारी सिन्हा ने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस का चालक तेज गति से ट्रेन नहीं चला रहा था और उसने ग्रीन सिग्नल मिलने पर ही लूप लाइन का रुख किया था। उन्होंने कहा कि इस सेक्शन में अधिकतम अनुमति प्राप्त सीमा की गति 130 किलोमीटर प्रति घंटे है और हादसे के समय ट्रेन की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रति घंटे थी। उन्होंने कहा कि ट्रेन का ड्राइवर गंभीर रूप से घायल है और उसका इलाज जारी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को ट्रेन हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए नैतिकता के आधार पर अपना इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 9 फरवरी को रेल मंत्रालय की आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया था कि सिग्नल इंटरलॉकिंग सिस्टम में खामी है। यह सही नहीं हुई तो हादसे होते रहेंगे। हम जानना चाहते हैं कि इस रिपोर्ट पर क्या कदम उठाए गए?
ओडिशा सरकार के मुख्य सचिव प्रदीप जेना ने कहा, भारतीय रेलवे ने बताया था कि मरने वालों की संख्या 288 हो चुकी है। बालासोर के डीएम और उनकी पूरी टीम ने एक-एक शव की जांच की। जांच में पता चला है कि कुछ शवों की दो बार गिनती की गई है, इसलिए मरने वालों की संख्या को संशोधित कर 275 कर दिया गया है। उन्होंने आगे बताया कि शवों की पहचान करने के लिए डीएनए सैंपलिंग की जा रही है।
बालासोर में हुए ट्रेन हादसे की जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में हादसे की जांच किसी सेवानिवृत्त जज की निगरानी में कराने की अपील की गई है। याचिकाकर्ता ने कहा, कवच सिस्टम और अन्य सुरक्षा मानकों की गहन जांच होनी चाहिए। वहीं जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर रेल यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश बनाए जाने चाहिए।