भोपाल: 2018 की गलतियां दोहराना नहीं चाहती भाजपा

डे नाईट न्यूज़ कर्नाटक चुनाव परिणामों से उबर कर भाजपा फिर से एक्शन मोड में आ गई है। पार्टी संघ और भाजपा की निगरानी में प्रदेश में चुनाव अभियान चलाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि और उनके कार्यों को लेकर जनता के बीच जाने का अभियान 30 मई से 30 जून तक शुरु हो रहा है। इस दौरान मतदान केंद्र की टीम से लेकर प्रदेश के सभी बड़े नेता जिनमें मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रीगण, प्रदेशाध्यक्ष, विधायक और सांसद शामिल हैं, मैदान में आकर घर-घर संपर्क अभियान को मजबूत करेंगे।

भाजपा किसी भी स्थिति में पिछले विधानसभा चुनाव की गलतियां दोहराना नहीं चाहती। इसके लिए पार्टी गुटबाजी और नाराजगी दूर करने के लिए हर संभव प्रयत्न कर रही है। प्रदेश संगठन के सभी शीर्ष पुरुष इस समय प्रदेश व्यापी दौरा कर लगातार नाराज नेताओं से संवाद करने की कोशिश कर रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में दूध से जली भाजपा, अब छांछ भी फूंक-फूंक कर पी रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को दलित और आदिवासी समुदाय का वैसा समर्थन नहीं मिला था जैसा 2003, 2008 और 2013 के चुनाव में मिला था। नतीजे में पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ 109 सीटें ही जीत पाई थी। उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।

भाजपा 2023 के विधनसभा चुनाव में पिछली गलतियां दोहराना नहीं चहाती। इस कारण से सत्ता और संगठन ने अपनी सारी ताकत दलितों को जोडऩे के लिए समरसता अभियान चलाए थे। इसके अलावा ग्वालियर में दलित महाकुंभ भी किया था। इसी तरह मालवा निमाड़ के गंधवानी में हाल ही में मुख्यमंत्री ने लाड़ली बहना योजना को लेकर बड़ा  समागम किया। भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश इन दिनों मालवा निमाड़ के दौरे पर हैं। कल उन्होंने इन्दौर की संभागीय बैठक को संबोधित किया। उन्होंने विशेष रूप से आदिवासी जनप्रतिनिधियों और नेताओं से पूछा कि 2018 के चुनाव में पार्टी से कहां गलती हुई जिससे परिणाम विपरीत आए। जाहिर है पार्टी पिछली विधानसभा चुनाव की गलतियों कोक दोहराना नहीं चाहती।

इस वजह से लगातार चुनाव अभियान की समीक्षा की जा रही है। मालवा निमाड़ के अलावा शिव प्रकाश ग्वालियर अंचल का प्रवास भी करने वाले हैं। ग्वालियर चंबल अंचल में 34 विधनसभा सीटें आती हैं। इनमें सात सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं। भाजपा ने 2018  में सभी दलित सीटें गंवा दी थी लेकिन 2020 के घटना क्रम के बाद हुए उपचुनाव में पार्टी ने यहां सात में से छह सीटें जीतीं। इस क्षेत्र में मायावती के दलित जाटव समुदाय का वर्चस्व है। बहुजन समाज पार्टी अब कमजोर हो चुकी है। इसलिए भाजपा ने जाटव समाज के मतदाताओं को लुभाने के लिए अनेक कार्यक्रम कर रही है।

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