डे नाईट न्यूज़ तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य शुक्रवार को समाप्त हो गया। कोरबा व कटघोरा वन मंडल में 1.30 लाख मानक बोरा पत्ता संग्रहित किए जाने का लक्ष्य था। 16 दिन के भीतर दोनों वन मंडल में 1.02 लाख मानक बोरा पत्ता संग्रहित कर लिया गया है। लक्ष्य की तुलना में यह 28 हजार 120 मानक बोरा कम है। तोड़ाई शुरू होने से पहले अप्रैल माह में वर्षा और ओले गिरने वजह से इस वर्ष पत्तों का संग्रहण कम हुआ है। आनलाइन बोली लगाकर पत्ता खरीदने वाले ठेकेदारों को तो कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन कम पत्ता संग्रहण से संग्राहकों को कम राशि मिलेगी।
खराब मौसम ने इस बार तेंदूपत्ता संग्राहकों की आस पर पानी फेर दिया है। अप्रैल माह की शुरूआत में शाख कर्तन के बाद माना जा रहा था कि 1.30 लाख मानक बोरा तोड़ाई लक्ष्य को पार कर लिया जाएगा, पर ऐसा नहीं हुआ। अमूमन 20 दिन तक चलने वाली तेंदूपत्ता संग्रहण 16 दिन में ही बंद हो गई। बताना होगा कि इस बार एक मई को शुरू होने वाली संग्रहण की शुरूआत आठ मई को हुई। पत्तों को सबसे अधिक नुकसान ओले पडऩे से हुई। मौसम साफ होने से पत्तों का संग्रहण 28 मई तक जारी रहने की संभावना थी लेकिन शुक्रवार को हुई वर्षा से पत्तों के सडऩे की आशंका को देखते हुए दोनों वन मंडल के फड़ को बंद कर दिया गया। पत्ता संग्रहण के कोरबा वनमंडल में 396 और कटघोरा में 481 फड़ बनाए गए हैं। पत्तों का दर बीते वर्ष की तरह इस बार भी 400 रुपये सैकड़ा रखा गया है। अब संग्रहित पत्तों पर गौर करें तो कोरबा वनमंडल में 53 हजार 500 और कटघोरा में 56 हजार 699 मानक बोरा पत्तों का संग्रहण किया जा चुका है। यह कार्य 28 मई तक जारी रहने की संभावना थी लेकिन वर्षा की वजह से बंद हो गई है।
बताना होगा कि पत्ता संग्रहण के एवज में संग्राहक परिवार नवीन शिक्षण सत्र में बच्चों की कापी किताबा और खेती के लिए खाद.बीज आदि के लिए कमाई कर लेते हैं। खास बात यह है कि इस बार कोरबा वनमंडल के सभी 38 समितियों के पत्तों की बोली लगी है। इस तरह कटघोरा के 44 में दो को छोड़ शेष समिति के पत्ते बिक चुके हैं। अधिक से अधिक फड़ों के पत्तों की बढ़चढ़ कर बोली लगने से संग्राहक परिवारों को इस बार बोनस लाभ भी अधिक मिलेगा। राज्य सरकार ने भुगतान के लिए दोनों वन मंडल में राशि जारी कर दी है। दोनों वनमंडल में कुल 58 हजार 345 संग्राहक परिवार हैं। संग्राहकों के खाते में आनलाइन भुगतान प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सूखे पत्तों को गोदामों में पहुंचाया जा रहा है। बारिश को देखते हुए संग्रहण में तेजी लाई जा रही है। दो दिन से वर्षा के कारण बिना सूखे पत्तों को किसानों के घर में ही रखना पड़ा । फड़ मुंशियों की माने तो तेज धूप के कारण भीगे पत्तों को सुखाने में सहूलियत हो रही। बताना होगा कि पत्ते बेहतर होने की वजह से कहीं भी सरा लेने की जरूरत नहीं पड़ रही। इस बार इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए गांव-गांव सरा न देने मुनादी करा दी गई।
मौसम के अलावा हाथियों के विचरण का भी तेंदूपत्ता संग्रहण में असर रहा। कोरबा वन मंडल में पसरखेत जंगल क्षेत्र में हाथी विचरण कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कटघोरा वन मंडल के पसान व केंदई रेंज में उत्पात जारी है। दोनो ही वनमंडल में 56 हाथी अलग अलग दल में विचरण कर रहे हैं। प्रभावित क्षेत्रों में फड़ों में एक दिन भी पत्तों की तोड़ाई नहीं हो सकी। मई माह की शुरूआत से अब तक हाथियों ने दोनों वन मंडल में 23 मकानों को तोड़ दिया है। 24 एकड़ धान के फसल को भी नुकसान पहुंचाया है। तेंदूपत्ता तोड़ाई रोजगार गांरटी पर भारी पड़ रहा था।
रोजगार गारंटी की तुलना में परिवार को अधिक लाभ मिला है। चार को छोड़ सभी फड़ों के पत्तों की बोली लगने की वजह से बोनस को देखते हुए संग्राहक परिवारों में तेंदूपत्ता तोड़ाई के लिए के लिए प्रतिस्पर्धा रही। आठ मई से तेंदूपत्ता संग्रहण शुरू होने से 84 गांवों में मनरेगा का काम बंद हो गया था। फड़ों में पत्ता तोड़ाई का काम बंद होने से अब रोजगार गारंटी में काम करने वालों की संख्या बढऩे की संभावना है।