डे नाईट न्यूज़ नगर निगम में गड़बड़ी करने वाले 20 आर्किटेक्ट पर गाज गिरी है। जांच में दोषी पाए जाने पर इनका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है। इसके अलावा एक आर्किटेक्ट के खिलाफ कोलार थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई है। बिल्डिंग परमिशन शाखा के अधिकारियों ने बताया कि बीते पांच सला में जारी भवन अनुज्ञा की जांच में पाया कि इन आर्किटेक्ट द्वारा मौजूदा मास्टर प्लान 2005 का उल्लंघन किया गया। साथ ही अवैध कालोनियों में तक बिल्डिंग परमीशन दी गई।
दरअसल, बीते दिनों निगमायुक्त केवीएस चौधरी कोलसानी ने बिल्डिंग परमिशन शाखा की समीक्षा की थी। इस दौरान अफसरों की ऑफलाइन जारी की गई भवन अनुज्ञा की जांच करने के निर्देश दिए गए। जांच में पाया कि ग्रीन बेल्ट, पार्किंग, एमओएस समेत अन्य नियमों की अनदेखी की गई। इससे न सिर्फ बेतरतीब निर्माणों को बढ़़ावा मिला, बल्कि निगम राजस्व को भी नुकसान हुआ। बता दें कि नगर निगम ने 96 आर्किटेक्ट को लायसेंस दिया है। इन्हें 3200 वर्गफिट तक की ऑनलाइन भवन अनुज्ञा जारी करने के लिए अधिकार है। बीते एक साल में इन आर्किटेक्ट द्वारा 3133 भवन अनुमतियां जारी की गई।
अधिकारियों ने बताया कि ऑफालाइन भवन अनुज्ञा में गड़बडिय़ों के मद्देनजर फिल्हाल 80 परमिशन को स्थगित कर दिया गया है। फिलहाल इन अनुमतियों के तहत निर्माण नहीं होगा। साथ ही 122 अनुमतियों की जांच जारी है। अवैध कॉलोनियों की परमिशनों को छोड़कर बाकी अनुमतियों के अंतर की राशि जमा कराई जाएगी। इस संबंध में नोटिस जारी किए जा रहे हैं। बता दें कि साल 2016 से 31 मार्च 2021 तक कुल 12 हजार ऑफलाइन अनुतियां जारी की गई। बिल्डिंग शाखा ने निगमायुक्त को भेजे गए प्रतिवेदन में लिखा है कि गड़बडिय़ों को अंजाम देने के लिए आॢकटेक्ट ने नियमों के मुताबिक गणना नहीं की।
जानबूझकर भूखंडों के आकार को कम दिखाकर कम राशि जमा कराई गई, जिससे निगम को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। अधिकांश मामलों में भूखंडों के आकार को कम दिखाकर इस निगम राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया। जांच प्रतिवेदन में कर्मचार कल्याण शुल्क में भी गड़बउ़ी की बात सामने आई है। दरअसल, मजदूर के कल्याण के लिए यह राशि भवन अनुज्ञा शुल्क के साथ नगर निगम भू-स्वामितयों से लेता है। फिर कर्मकार कल्याण आयोग में राशि जमा कराई जाती है। 378 अनुमतियों में शुल्क जमा नहीं कराया गया है। इस मामले में भी नियम प्रशासन द्वारा जांच जारी है।