डे नाईट न्यूज़ वित्तीय वर्ष 21 22 के मनरेगा व प्रधानमंत्री आवास योजना के भौतिक सत्यापन के लिए खुली बैठक में खुली विकास के दावों की पोल दूसरे प्रदेशों में कार्यरत लोगों के नाम से मनरेगा मजदूरी निकाले जाने का मामला सामने आया है।
ग्राम पंचायत में निवास करने वाले गरीब तबके के लोगों को उनके गांव में ही नरेगा मजदूरी के जरिए निश्चित रोजगार देने व गरीब लोगों को उनका अपना घर उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा योजना व प्रधानमंत्री आवास योजना का संचालन करते हुए ग्राम पंचायत निधि में भारी-भरकम धनराशि भेज कर लोगों को इससे लाभान्वित करने का सपना सरकार देख रही है, लेकिन जिम्मेदारों की मिलीभगत से प्रधान व सचिव भ्रष्टाचार का खेल खेलते हुए सरकार की मंशा पर पलीता लगाते नजर आ रहे हैं।
आपको बताते चलें कि ऐसा ही कुछ मामला जनपद संतकबीरनगर के सेमरियावां ब्लाक क्षेत्र के देवरिया नासिर से सामने आया है जहां मनरेगा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के भौतिक सत्यापन के लिए सोशल ऑडिट खुली बैठक में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। जहां सोशल ऑडिट टीम के सदस्यों ने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट सौंपने की बात कही। वहीं सोशल ऑडिट की बैठक में मौजूद ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मनरेगा योजना के नाम पर प्रधान व सचिव ने मिलीभगत करके भारी भ्रष्टाचार किया है।
जहां दूसरे प्रदेशों में रोजी रोजगार करने वाले लोगों के नाम पर नरेगा मजदूरी निकाली गई वही ऐसे लोगों के नाम पर भी प्रधान प्रतिनिधि द्वारा मजदूरी निकाल ली गई जो चल फिर भी नहीं सकते साथ ही मदरसे में शिक्षक के नाम पर भी मनरेगा मजदूरी निकालने का ग्रामीणों ने आरोप लगाया है। ग्रामीणों का आरोप है कि मौजूदा ग्राम प्रधान को ग्रामीणों ने देखा नहीं है, क्योंकि निर्वाचित होने के बाद वे मुम्बई रहती है, उनके पति मुंबई से आकर लिखा पढ़ी व हस्ताक्षर करके चले जाते है, और यहां पर उनके द्वारा तैनात लोग ही ग्राम प्रधानी चला रहे हैं जो सचिव से मिलीभगत कर मनरेगा योजना के नाम पर भारी फर्जीवाड़ा कर रहे।
वही ग्रामीणों का आरोप है कि पिछले 6 महीने से पंचायत सहायक की तैनाती कर उन्हें सचिव से मिलीभगत कर निवेदन दी जा रही है। जबकि कोई भी ग्रामीण उन्हें पहचानता तक नहीं सोशल ऑडिट के दौरान फर्जीवाड़े को लेकर ग्रामीणों में कहासुनी भी हुई जहां पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने मामले को शांत कराया।