डे नाईट न्यूज़ करीब 109 साल पहले गोमती नदी पर अंग्रेजों की ओर से बनाया गया पक्का पुल (लाल पुल) अब चलने लायक बचा है या नहीं, इसकी जांच कराई जाएगी। इससे यह भी पता चलेगा कि पुल मरम्मत से ही दुरुस्त हो जाएगा या इसे दोबारा बनाना पड़ेगा। लोक निर्माण विभाग ने यह जांच कराने के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) को पत्र लिखा है।
करीब एक महीने पहले विभाग की ओर से कराई गई जांच में पुल में कई जगह क्रेक मिले थे। इनकी मरम्मत को लेकर तैयार रिपोर्ट में एक करोड़ रुपये से अधिकखर्च आने का अनुमान लगाया गया। पुल को कमजोर मानते हुए भारी यातायात रोकने पर भी चर्चा हुई। इस पर अमल से पहले ही अब उच्च स्तर पर हुए मंथन के बाद तय हुआ कि विशेषज्ञ संस्था सीआरआरआई से इसकी जांच कराई जाए कि पुल की वास्तविक स्थिति क्या है। उसके सुझाव के अनुसार काम कराया जाए। विभाग ने जांच कराने के लिए सीआरआरआई को पत्र लिखा है।
शहर के दो हिस्सों को जोड़ता है पुल
पुराने शहर में गोमती पर बने इसी पुल से सीतापुर रोड से हरदोई रोड आना-जाना होता है। छह साल पहले तक यह पुराने लखनऊ का गोमती पर बना अकेला पुल था, जिससे लोग नदी के एक तरफ से दूसरी ओर जाते थे। ट्रैफिक लोड कम करने के लिए छह साल पहले पक्का पुल के पास नया पुल बनाया गया। उस समय चर्चा थी कि अब पक्का पुल पर यातायात वन-वे कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अभी भी इस पर दोनों ओर से ट्रैफिक चलता है।
अंग्रेजों ने कराया था पुल का निर्माण
1857 के गदर के बाद अंग्रेजों ने अवध संभाला तो उन्होंने पहले से बने शाही पुल को कमजोर बताकर 1911 में तोड़वा कर उसकी जगह नए पुल का निर्माण शुरू कराया। 10 जनवरी 1914 को यह तैयार हुआ। लाल रंग से रंगे जाने के कारण इसे लाल पुल या पक्का पुल कहा जाता है। इसके निर्माण में लार्ड हार्डिंग का काफी योगदान रहा, जिस कारण इसे हार्डिंग ब्रिज भी कहा जाता है।
फैक्ट फाइल
पुल की लंबाई- 300 मीटर
चौड़ाई – 7 मीटर
निर्माण- 1914
इस पुल आर्च डिजाइन का है
पुल के दोनों ओर छह-छह अटारियां (बालकनी) हैं
जांच रिपोर्ट के बाद लिया जाएगा फैसला
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मनीष वर्मा का कहना है कि पक्का पुल की मजबूती की जांच को लेकर सीआरआरआई को पत्र लिखा गया है। इसके बाद ही तय होगा कि इस पर यातायात चलेगा या नहीं। पुल पर भारी वाहन चलेंगे कि नहीं, यह भी जांच रिपोर्ट के बाद ही तय होगा।