ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए कपड़ों-उपकरणों की आपूर्ति में हो सुधार

डे नाईट न्यूज़ तवांग में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के जवानों की झड़प के बाद उपजे तनाव के बीच एक संसदीय पैनल ने  ऊंचाई वाले क्षेत्रों में देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों के लिए कपड़ों, उपकरणों, राशन और आवास सुविधाओं में सुधार की वकालत की है। 

दरअसल, बुधवार को लोक लेखा समिति ने लोकसभा में अपनी 55वीं रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में लोक लेखा समिति (पीएसी) ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के लिए सर्दियों के कपड़ों की खरीद में अत्यधिक देरी के साथ-साथ उनके आवास की स्थिति में सुधार के लिए परियोजना के कार्यान्वयन की ओर इशारा किया। इसके साथ ही समिति ने उन क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाले कपड़ों, उपकरणों, राशन और आवास सुविधाओं की खरीद के लिए दृष्टिकोण में तत्काल सुधार की भी सिफारिश की।

पीएसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि ऑडिट के दौरान कई बार कपड़ों और अन्य वस्तुओं की खरीद में चार साल तक की देरी के उदाहरण पाए गए। इस संदर्भ में, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति ने 2007 में उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के लिए कपड़ों की वस्तुओं की तेजी से खरीद के लिए पूर्ण वित्तीय शक्तियों के साथ एक अधिकार प्राप्त समिति की स्थापना का भी जिक्र किया। समिति ने यह भी कहा कि खराब मौसम वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय संसाधनों के अलग से आवंटन की जरूरत है। 

उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के लिए आवास की स्थिति में सुधार के लिए जारी परियोजना का जिक्र करते हुए संसदीय कमेटी ने कहा कि जांच के दौरान पाया गया कि इसे एडॉक तरीके से लागू किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी कभी नहीं ली गई। इतना ही नहीं, यहां तक कि पायलट परियोजना को भी चरणों में मंजूरी दी गई। इन सबके कारण 274 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद पायलट परियोजना सफल नहीं रही।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में सलाह देते हुए कहा कि सैनिकों के लिए वस्तुओं और कपड़ों के लिए व्यय और राजस्व और पूंजीगत खरीद की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। जिससे खरीद की समयसीमा को कम करने में भी मदद मिलेगी। गौरतलब है कि कठोर सर्दियों के महीनों के दौरान लद्दाख सहित सियाचिन आदि स्थानों में तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाता है।

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