
डे नाईट न्यूज़ डॉलर से अपने कारोबार को अलग करने की दिशा में रूस और चीन और आगे बढ़ गए हैं। रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन सोमवार को बताया कि दोनों देशों के बीच अब लगभग आधा कारोबार अपनी मुद्राओं- रुबल और युवान में हो रहा है। मुशुस्तिन ने सोमवार को चीन के प्रधानमंत्री ली किचियांग के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इसमें उन्होंने उम्मीद जताई कि अब डॉलर या यूरो में भुगतान करने की जगह सभी देश अपनी राष्ट्रीय मुद्राएं का अधिक इस्तेमाल करेंगे। मिशुस्तिन ने कहा कि बाहरी दबावों और प्रतिकूल आर्थिक स्थितियों के बावजूद रूस और चीन का आपसी व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। इस वर्ष के पहले दस महीनों में दोनों देशों के बीच लगभग 150 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ, जो साल भर पहले की तुलना में एक तिहाई ज्यादा है।
विश्लेषकों के मुताबिक रूस ने अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के वर्चस्व को खत्म करने को अपना लक्ष्य बना रखा है। इसी कोशिश में वह अलग-अलग देशों के साथ आपसी मुद्राओं में कारोबार को बढ़ावा दे रहा है। इसमें उसे चीन और भारत जैसे देशों का साथ मिला है। पिछले महीने यूरेशिया इकॉनमिक यूनियन (यूएईयू) की बैठक में भी रूस ने इसी मुद्दे को सबसे ज्यादा तरजीह दी। वहां रूस से ईएईयू मामलों के मंत्री सर्गेई ग्लेजयेव ने विभिन्न देशों के बीच आपसी मुद्राओं में भुगतान के सिस्टम का एक खाका पेश किया। उन्होंने बताया कि इस सिस्टम से संबंधित प्रस्ताव यूरेशियन इकॉनमिक कमीशन (ईईसी) और ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) को भेजा गया है।
इस रूसी प्रस्ताव के तहत कई देशों के भुगतान कार्डों को शामिल कर एक कार्ड तैयार किया जाएगा। इन कार्डों में भारत का रूपे, रूस का मीर, ब्राजील एलो, चीन का यूनियन-पे आदि शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ पेपे एस्कोबार ने वेबसाइट दक्रैडल.को पर एक टिप्पणी में लिखा है कि प्रस्तावित कार्ड वीजा या मास्टर कार्ड की तर्ज पर होगा, जो इस व्यवस्था में शामिल होने वाले सभी देशों में चलेगा। इसके जरिए किसी भी मुद्रा में किया गए भुगतान तुरंत दूसरे देश की मुद्रा में प्राप्त हो जाएगा। एस्कोबार ने लिखा है- ‘यह व्यवस्था पश्चिम नियंत्रित मौद्रिक व्यवस्था के लिए प्रत्यक्ष चुनौती साबित होगी। इसके तहत ब्रिक्स देश डॉलर से हटते हुए आपसी व्यापार का भुगतान अपनी मुद्राओं में करेंगे।’
ईएईयू में ज्यादातर पूर्व सोवियत गणराज्य शामिल हैं। रूस कजाखस्तान, बेलारुस, अर्मीनिया और किर्गिस्तान इसके सदस्य हैं। इसमें रूस की प्रमुख भूमिका रही है। अब इस संगठन और ब्रिक्स के बीच तालमेल बनाने की कोशिश चल रही है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य तमाम देशों को भी इससे जोड़ने की पहल रूस और चीन कर रहे हैँ। रूसी अखबार इजवेस्तिया में छपे एक लेख में ईईसी के वित्तीय सलाहकार व्लादीमीर कोवालयोव ने लिखा है कि रूस का ध्यान साझा वित्तीय बाजार बनाने पर है। उसकी प्राथमिकता साझा विनिमय व्यवस्था निर्मित करने की है। उन्होंने लिखा है- इस दिशा में ठोस प्रगति हो चुकी है। अब ध्यान बैंकिंग, बीमा और स्टॉक मार्केट्स को आपस में जोड़ने पर केंद्रित किया जा रहा है।