
डे नाईट न्यूज़ नए चुनाव कराने की अपनी मांग पर जोर डालने के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो नई रणनीति अपनाई है, उसके सफल होने की संभावना पर लगातार शक जताए जा रहे हैं। खान ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन का तरीका छोड़ते हुए अब प्रांतीय असेंबलियों से अपनी पार्टी के सभी सदस्यों को इस्तीफा दिलवाने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने एलान किया है कि वह उन दो प्रांतों की असेंबलियों को भंग करवा देगी, जहां उसकी सरकारें हैं। ये प्रांत पंजाब और खैबर पख्तूनवा हैं।
लेकिन इमरान खान के नई रणनीति का एलान करने के हफ्ते भर बाद तक पीटीआई के सदस्यों ने असंबेलियों से इस्तीफा नहीं दिया है। शुक्रवार तक उसने यह घोषणा भी नहीं की थी कि पंजाब और खैबर पख्तूनवा की असेंबलियों को कब भंग कराया जाएगा। इस बीच खबर है कि शहबाज शरीफ सरकार पीटीआई की इस चाल को नाकाम करने के लिए सभी संवैधानिक और राजनीतिक उपायों पर विचार-विमर्श कर रही है।
पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक मुख्यमंत्री प्रांतीय असेंबली को भंग करने की सिफारिश गवर्नर से कर सकते हैं। गवर्नर यह सलाह मानने को बाध्य हैं। असेंबली भंग होने के बाद 90 दिन के अंदर उसके लिए चुनाव कराना अनिवार्य है। जहां सदस्य किसी सदन से इस्तीफा देते हैं, वहां उनकी सीटों पर 60 दिन के भीतर उप चुनाव कराना अनिवार्य है। गुजरे महीनों में इसी रणनीति के तहत पीटीआई ने नेशनल असेंबली और पंजाब की प्रांतीय असेंबली के लिए अनेक सीटों पर उप चुनाव कराने के लिए निर्वाचन आयोग को मजबूर किया था। उन उप चुनावों में पीटीआई को भारी जीत मिली।
कराची स्थित वकील सईद अली ए. जैदी ने वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम से कहा- ‘ऐसा लगता है कि इमरान खान ने एक सोच-समझ कर ये दांव चला है। पीटीआई के पास फिलहाल यही एक पत्ता है, जिसे वह चल सकती है।’
असेंबलियों को भंग होने से रोकने के लिए सत्ताधारी गठबंधन- पाकिस्तान डेमोक्रेटिक एलायंस (पीडीएम) कई विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसके तहत पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज इलाही से पाला-बदल करवाने से लेकर उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने तक की चर्चा है। इलाही पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू) के नेता हैं। इस पार्टी का पीटीआई से गठबंधन है।
संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दो प्रांतीय असेंबलियां भंग हो जाती हैं, तब भी ऐसा कोई दबाव नहीं बनेगा, जिससे पीडीएम के लिए नेशनल असेंबली का तुरंत चुनाव कराना अनिवार्य हो जाए। पीडीएम में शामिल पार्टियां समय से पहले चुनाव कराने के सख्त खिलाफ हैं। नेशनल असेंबली का कार्यकाल अगले साल अक्तूबर तक है।
इस बीच इमरान खान की नई रणनीति बलूचिस्तान और सिंध प्रांतों में महंगी पड़ रही है। वहां पार्टी के विधायक सदन से इस्तीफा देने के बजाय पार्टी से इस्तीफा देना पंसद कर रहे हैं। पार्टी छोड़ने के बाद ये विधायक इमरान खान का निर्देश मानने के लिए बाध्य नहीं रह जाएंगे।
इस्लामाबाद स्थित कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफसेर जफर नवाज जसपाल के मुताबिक इमरान खान ने एक जुआ खेला है। उन्होंने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- ‘इस रणनीति में जोखिम यह है कि असेंबलियां भंग होने के बाद उन राज्यों में गवर्नर प्रधानमंत्री की सहमति से कार्यवाहक सरकार बना देंगे। पीटीआई को तब उन (विरोधी रुख वाली) सरकारों का सामना करना पड़ेगा।’