नेपाल में सरकार बनाने के मुद्दे पर कम्युनिस्ट नेताओं के बीच सांप-नेवले का खेल

डे नाईट न्यूज़ नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टियां सियासी सौदेबाजी में जुट गई हैं। वे दूसरी पार्टियों के साथ बेहतर डील पाने की कोशिश में है। अपनी इसी गणना के आधार पर वे ‘कम्युनिस्ट एकता’ के कार्ड पर अपना रुख जता रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ‘कम्युनिस्ट एकता’ का कार्ड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल के साथ पिछले हफ्ते फोन पर हुई बातचीत के दौरान फेंका था। दहल ने उस पर चुप्पी साध रखी है। लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड सोशलिस्ट) के नेता माधव कुमार नेपाल ऐसी किसी एकता की संभावना को सिरे नकार दिया है।

माओइस्ट सेंटर और यूनिफाइड सोशलिस्ट दोनों अभी नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा हैं। इसके बावजूद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के अध्यक्ष ओली से बातचीत के दौरान दहल ने कहा था कि कम्युनिस्ट पार्टियों के मिल कर सरकार बनाने के सवाल पर वे पूरे नतीजे आने के बाद ही अपनी राय जताएंगे। जबकि माधव कुमार नेपाल ने कहा है- ‘हमने सत्ताधारी गठबंधन के साथ अपना संबंध जारी रखने का फैसला किया है।’ इस गठबंधन में राष्ट्रीय जनमोर्चा और लोकतांत्रिक समाजवादी भी शामिल हैं।

यूनिफाइड सोशलिस्ट को संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा में प्रत्यक्ष निर्वाचन वाली 10 सीटें और प्रांतीय असेंबलियों में सिर्फ 14 सीटें मिली हैं। इस तरह अभी यह तय नहीं है कि इसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कायम रह पाएगा या नहीं। नेपाल में आम चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान हुआ था। लेकिन अभी तक पूरे नतीजे नहीं आए हैं। आनुपातिक प्रतिनिधित्व वाली सीटों के आवंटन में किस दल को कितनी सीटें मिलेंगी, अभी यह साफ नहीं है। इसलिए यह भी अभी नहीं मालूम है कि सत्ताधारी गठबंधन प्रतिनिधि सभा में बहुमत के लिए जरूरी 138 सीटें हासिल कर पाएगी या नहीं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक ऐसा होने की संभावना कम है। ऐसा नहीं हुआ, तो सत्ताधारी गठबंधन को दूसरे छोटे दलों या निर्दलीय सांसदों से सौदेबाजी करनी पड़ेगी।

अनिश्चित राजनीतिक स्थिति के कारण ही यहां इस समय नई उभरी राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के संभावित रुख को लेकर कयासों का दौर है। टीवी स्टार रवि लमिछाने की इस पार्टी को आम चुनाव में अप्रत्याशित सफलता मिली है। यह अगली प्रतिनिधि सभा में चौथी सबसे बड़ी पार्टी होगी। इस पार्टी की विचारधारा या राजनीतिक लाइन क्या है, इस बारे में अभी तक अस्पष्टता बनी हुई है। पार्टी की तरफ निर्वाचित हुए सांसद शिशिर खनाल ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनकी पार्टी वामपंथी रूझान अपनाएगी।

लेकिन इस बयान से राजनीतिक पर्यवेक्षक संतुष्ट नहीं हैं। वरिष्ठ पत्रकार ध्रुव हरि अधिकारी ने अखबार काठमांडू पोस्ट से बातचीत में कहा- ‘घरेलू, विदेश और आर्थिक मुद्दों पर पार्टी का रुख उसकी विचारधारा से तय होते हैं। जबकि इस पार्टी की विचारधारा अस्पष्ट है और यह चिंताजनक पहलू है।’ पर्यवेक्षकों का अनुमान है कि स्पष्ट विचारधारा ना होने के कारण राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी किसी भी अन्य दल के साथ गठबंधन करने की स्थिति में होगी। इसीलिए सत्ताधारी गठबंधन के रणनीतिकार इससे संपर्क साधने की कोशिश में हैं।

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