
दिल्ली मेट्रो में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा बंद होने से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। येलो और ब्लू लाइन पर ट्रायल के तौर पर इस सुविधा की शुरुआत की गई थी। इसे चरणों में सभी लाइनों पर लागू करने की योजना थी ताकि यात्रियों को सफर में निर्बाध कनेक्टिविटी मिल सके।
कोरोना महामारी के दौरान सेवाएं मुहैया करने में नाकाम रहने पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने कंपनियों के साथ करार खत्म कर दिया। इससे मेट्रो के सफर के दौरान यात्रियों को कनेक्टिविटी की समस्या हो रही है। खास तौर पर मोबाइल नेटवर्क कमजोर होने या सुरंग से मेट्रो के गुजरने पर इंटरनेट के इस्तेमाल में दिक्कत आ रही है।
डीएमआरसी के मुताबिक मेट्रो में सफर में यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी मुहैया करवाने की दिशा में पहल की गई थी। इसके तहत एयरपोर्ट लाइन पर ट्रायल के तौर पर 2020 में सुविधा शुरू की गई। हालांकि, कोविड-19 काल में इसे स्थगित करना पड़ा। बाद में ब्लू और येलो लाइन के यात्रियों को भी सफर में निशुल्क वाई-फाई की सुविधा प्रदान की गई।
सफर में मोबाइल पर बातचीत या इंटरनेट का इस्तेमाल भी यात्रियों के लिए काफी आसान हो गया। इस सेवा का फायदा लेने के लिए यात्रियों को केवल नेटवर्क आईडी पर लॉग इन कर ई-मेल, फेसबुक, गूगल, वाट्सएप, वीडियो और ऑडियो कॉल की सुविधा प्रदान की गई। लेकिन नियम और शर्तों का पालन नहीं किए जाने पर सेवा प्रदाता के साथ करार तोड़ दिया गया।
इसके बाद इस साल अगस्त में निशुल्क वाई-फाई सेवाएं वापस ले ली गईं। टेक्नो सैट कॉम की ओर से यह सुविधा मुहैया कराई जा रही थी। डीएमआरसी का कहना है कि 5जी नेटवर्क के आगमन से हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा काफी यात्रियों को मिलने लगी हैं। अब सभी यात्रियों को इसकी जरूरत महसूस नहीं हो रही है। उनका दावा है कि सेवाओं में सुधार करने के लिए 29 भूमिगत स्टेशनों पर भी सेवाओं को अपग्रेड किया जा रहा है।
मेट्रो नेटवर्क पर रोजाना करीब 50 लाख यात्राएं होती हैं। यात्रियों की संख्या लाखों में हैं लेकिन इनमें से महज 10 फीसदी यात्रियों के पास ही 5जी स्मार्ट फोन है। इस नेटवर्क के जरिये हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्मार्ट फोन से 4जी की तुलना में करीब 40 फीसदी तेज डाउनलोड की सुविधा है। दिल्ली में 10.8 फीसदी 5जी सक्षम स्मार्टफोन हार्डवेयर का उपयोग किया जा रहा है। संख्या में धीरे धीरे बढ़ोतरी हो रही है। प्रतिशतता बढ़ने से यात्रियों को मेट्रो के भूमिगत लाइन या सुरंग में चलने पर भी कनेक्टिविटी की समस्या नहीं आएगी।