जीवन में जैसे पतझड़ आता है, वैसे ही बसंत भी आता है। यहां एक जैसा कुछ नहीं है, परिस्थितियां बदलती हैं, दशाएं बदलती हैं, भूमिकाएं बदलती हैं, हमारा स्वभाव भी बदल जाता है। अगर हमारे पास सद् विचार हैं, तब हम लक्ष्य की ओर बढ़ते रहेंगे और बदलते जगत को देखकर विचलित नहीं होंगे।

आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए व्याकुलता दूर करने के लिए क्या करना चाहिए?

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