पशुपालकों को सितंबर माह में पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहने की जरूरत है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने सितंबर माह में पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर कई अहम सलाह दी है। इनपर ध्यान देकर पशुपालक अपने पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं। विभाग ने कहा है कि, इस माह में गलघोटू और लंगड़ी बुखार के फैलने की संभावना भी अत्यधिक रहती है। ऐसे में समय रहते इनके टीके पशुओं को अवश्य लगवा लें अथवा रोग होने पर पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।

विभाग ने कहा है कि सितंबर माह में पशुओं के चारे के संग्रहण पर विशेष ध्यान दें। इस मौसम में नमी के कारण कई फफूंद जनित रोगों के संक्रमण का खतरा रहता है। हरे चारे से साईलोज बनाएं अथवा हरे चारे के साथ सूखे चारे को मिलाकर खिलाएं क्योंकि हरे चारे के अधिक सेवन से पशुओं में दस्त की समस्या हो सकती है। इस माह में मक्का, नेपियर, गिनी घास, ज्वार, सूडान आदि इस माह में ज्यादा मिलते हैं, इनका उपयोग हरे चारे के रूप में कर सकते हैं। हरे चारे की अधिक उपलब्धता के कारण पशुओं में हरे चारे के अधिक सेवन से संबंधित समस्याओं से बचने के लिए पशुओं को बार-बार खुले में चरने के लिए नहीं भेजें, क्योंकि इससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। पशुपालक इस माह में हरे चारे या दाने के साथ नमक का मिश्रण दें।

इन दिनों साफ-सफाई पर दें विशेष ध्यान

विभाग ने सलाह दी है कि इस माह जानवरों के चारागाह या बाड़े की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दें। समय-समय पर फर्श व दीवारों पर चूने के घोल का छिड़काव करें। लंगड़ी रोग से बचाव के लिए स्वस्थ पशुओं को दूषित भूमि और चारागाह से अलग रखना चाहिए। गौशाला की सफाई कीटाणुनाशक दवा से करनी चाहिए। पशुओं को बरसाती घास नहीं खिलाएं और इन दिनों गढ्ढो, तालाब, पोखरों का पानी नहीं पिलाएं। साथ ही पशुओं का आहार पौष्टिक और स्वादिष्ट होना चाहिए।

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