
नेपाल में पिछले 72 घंटों से लगातार हालात बिगड़े हुए हैं। नेपाल में सड़क का घमासान अब सियासी खींचतान में बदल गया है। बेन-जी समूहों ने अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की पर सहमति जताई थी, लेकिन अब वे बंट गए हैं। जेन-जी के अलग-अलग समूह अलग-अलग नाम सुझा रहे हैं। इस कारण उनमें झड़पें शुरू हो गई हैं। अंतरिम प्रधानमंत्री के लिए तीन और दावेदारों के नाम सामने आए हैं। इनमें कुलमान घीसिंग, बालेन शाह, मेगर हरका सम्पांग शामिल हैं। नेपाल में अंतिरम सरकार का नेतृत्व कौन करेगा। किसकी सरकार बनेगी। संसद भंग होगा, इन सभी बातों को लेकर विचार मंथन जारी है। एक तरफ जहां सेना मुख्यालय में बैठकर इसको लेकर चिंतन मंथन किया जा रहा है।दूसरी तरफ सड़कों पर जेन जेड आपस में ही भिड़ने लगे हैं। वहीं नेपाल में तेल की भी क्राइसिस खड़ी हो गई। पेट्रोल-डीजल की कमी होने लगी। उसके बाद बार्डर बंद होने के बाद से ट्रेड रूक सा गया था। भारत से नेपाल पहुंचने वाले तेल के टैंकर इंतजार में खड़े थे कि कब उन्हें काठमांडू में दाखिल होने का मौका मिलेगा तो वो वक्त 72 घंटों के बाद आया है।
विरोध-प्रदर्शनों से प्रभावित नेपाल में फंसे 420 से ज़्यादा भारतीय आखिरकार गुरुवार को स्वदेश लौट सके क्योंकि सोमवार से बंद पानीटंकी स्थित भारत-नेपाल सीमा खुल गई। भारत में मौजूद लगभग 560 नेपाली नागरिक नेपाल जा सके। भारत से 19 पेट्रोलियम टैंकरों सहित 36 ट्रक भी नेपाल पहुँचे, जिससे ज़रूरी ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित हुई। जल्दी खराब होने वाले सामान से लदे चार ट्रक शाम को नेपाल के लिए रवाना होने वाले थे, जो माल की कमी से जूझ रहे इस हिमालयी देश के लिए रसद सामग्री लेकर जाएँगे। तीन एम्बुलेंस को पानीटंकी से गुज़रने की अनुमति दी गई। सीमा पार आवाजाही भले ही काफी हद तक सामान्य हो गई हो, लेकिन भारतीय यात्रियों को अभी भी रोका जा रहा है, न केवल अस्थिर स्थिति के कारण, बल्कि नेपाल की ओर के द्वारों पर सुरक्षाकर्मियों की अनुपस्थिति के कारण भी। हालाँकि, नेपाली नागरिकों को भारत की ओर से अपने घर लौटने की पूरी आज़ादी है। अधिकारियों ने माना कि नेपाल की ओर से सीमा प्रबंधन की कमी एक बाधा बनी हुई है, हालाँकि व्यापारिक वाहनों और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही जारी है।