भारत में सैनिटरी कचरे का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है। इसका अनुचित तरीके से निपटान होने से पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं। इसके बीच खबर यह है कि महाराष्ट्र के सतारा जिले का एक छोटा शहर कराड इस मुद्दे से निपटने में एक रोल मॉडल के रूप में उभरा है। सैनिटरी और बायोमेडिकल कचरे के शत-प्रतिशत पृथक्करण, संग्रह और प्रसंस्करण के साथ, कराड ने प्रभावी और टिकाऊ कचरा प्रबंधन के लिए एक मानक स्थापित किया है। सैनिटरी नैपकिन, डायपर और अन्य स्वच्छता उत्पादों जैसे सैनिटरी कचरे का उचित निपटान सुनिश्चित करने से कराड में स्वास्थ्य जोखिम, पर्यावरणीय नुकसान और सामाजिक लांछन को रोकने में मदद मिली है।


कराड में अस्पतालों, क्लीनिकों, घरों और अन्य स्थानों से प्रतिदिन लगभग 300 से 350 किलोग्राम सैनिटरी कचरा जमा किया जाता है। उल्लेखनीय है कि प्रशासन द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक सैनिटरी कचरे से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ना था। उठाए गए कदमों का मुख्य उद्देश्य उचित सैनिटरी अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व और अनुचित निपटान से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में समुदाय को जागरूक करना और शिक्षित करना था। शहर ने कार्यशालाओं, सामुदायिक पहुंच कार्यक्रमों और सार्वजनिक सेवा घोषणाओं जैसी पहलों के माध्यम से अपशिष्ट पृथक्करण पर लोगो को शिक्षित करने के लिए नई रणनीतियों को अपनाया है, जिन्होंने जिम्मेदार अपशिष्ट पृथक्करण और निपटान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कराड नगर परिषद (केएमसी) ने महिलाओं के साथ मिलकर काम किया, जिससे महिला समूहों का गठन हुआ, जिन्होंने आवासीय क्षेत्रों में उचित सैनिटरी अपशिष्ट निपटान और पृथक्करण के बारे में जागरुकता बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई। इसे सुविधाजनक बनाने को शहरभर के सार्वजनिक शौचालयों में अलग-अलग लाल डिब्बे लगाए गए हैं, जिससे महिलाओं के लिए सैनिटरी कचरे का जिम्मेदारी से निपटान करना आसान हो गया है।स्कूलों को सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन और निपटान प्रणाली स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अतिरिक्त शहर की आईईसी टीम स्वच्छतापूर्ण निपटान प्रथाओं को बढ़ावा देती है, जैसे कि इस्तेमाल किए गए सैनिटरी पैड को फेंकने से पहले उन्हें कागज़ में लपेटा जाता है। इस पहल ने कई स्कूलों को भस्मक स्थापित करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे सैनिटरी कचरे का उचित प्रसंस्करण सुनिश्चित होता है और बचे हुए अवशेषों को बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार संयंत्र में भेजा जाता है।शहर में कचरा संग्रहण वाहन में सैनिटरी कचरे के संग्रह के लिए एक अलग से डिब्बा होता है। इसका उचित निपटान सुनिश्चित करने को सफाई कर्मचारी इस कचरे को अलग से इकट्ठा करते हैं, जिससे केवल उपयुक्त सामग्री को ही जलाया जा सके। छांटे गए कचरे को फिर कराड अस्पताल संघ द्वारा संचालित एक उच्च तापमान भस्मक में संसाधित किया जाता है, जहाँ इसे उच्च तापमान पर जलाया जाता है। भस्मीकरण के दौरान कार्बनिक पदार्थ ऑक्सीकृत होते हैं, जिससे गर्मी, गैस और राख उत्पन्न होती है। पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, हानिकारक पदार्थों को हटाने के लिए उत्पादित गैसों को फ़िल्टर किया जाता है। वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए सुविधा के उत्सर्जन की निरंतर निगरानी की जाती है, जिसमें नियामक निरीक्षण के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) निगरानी प्रणाली से जुड़े वास्तविक समय के डेटा शामिल हैं।


सैनिटरी कचरे के निपटान को बेहतर बनाने के लिए कराड नगर परिषद (एमसी) ने सैनिटरी और बायोमेडिकल कचरे के उपचार के लिए कराड अस्पताल एसोसिएशन के साथ साझेदारी की संधि की है। इस समझौते के तहत केएमसी ने बायोमेडिकल अपशिष्ट उपचार संयंत्र के निर्माण के लिए जमीन आवंटित की है, जिसके संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी अस्पताल एसोसिएशन की होगी। व्यवस्था के हिस्से के रूप में अस्पताल एसोसिएशन ने 600 किलोग्राम/दिन की ‘कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी’ (सीबीडब्ल्यूटीएफ) की स्थापना की, जहां नगर परिषद द्वारा निःशुल्क एकत्र किए गए सैनिटरी कचरे का प्रसंस्करण किया जाता है। शहर के सभी सैनिटरी कचरे को इस सुविधा में जलाया जाता है, जिसमें 1200 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान तक पहुंचने में सक्षम एक केंद्रीकृत भस्मक होता है। यह उच्च तापमान भस्मीकरण प्रभावी रूप से संदूषण के जोखिम और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करता है, जिससे सफाई कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित होता है।कराड शहर में बेहतर सैनिटरी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों मामले में सकारात्मक प्रभाव डाला है। कराड अस्पताल संघ के साथ समझौते का फायदा यह हुआ है कि इसने कराड नगर परिषद पर वित्तीय बोझ को कम कर दिया है, क्योंकि यह केवल अपशिष्ट संग्रह और परिवहन की लागत वहन करता है। यह साझेदारी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल की प्रासंगिकता को उजागर करती है। सैनिटरी कचरे के उच्च तापमान पर भस्मीकरण ने स्वास्थ्य जोखिम और संदूषण को बहुत कम कर दिया है। इससे कचरे को संभालने वाले सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित हुई है। सैनिटरी कचरे के खुले में डंपिंग को खत्म करके शहर ने पर्यावरण क्षरण को भी रोका है और इससे बीमारियों का प्रसार भी रुका है।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई है कि उचित अपशिष्ट पृथक्करण को लागू करके, जागरुकता बढ़ाकर और अधिक प्रभावी बुनियादी ढांचे का विकास करके कराड ने अपर्याप्त सैनिटरी अपशिष्ट प्रबंधन से उत्पन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय खतरों को रोका। इसने न केवल शहर की स्वच्छता बढ़ी है बल्कि लोगों, विशेष रूप से महिलाओं के जीवन की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाने में मदद मिली है, जो सैनिटरी अपशिष्ट निपटान से जुड़ी चुनौतियों से सीधे-सीधे प्रभावित होती हैं।