
आज से हुए बदलावों का सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा। आम बजट की घोषणाएं भी लागू हो गई हैं। टैक्स, बैंकिंग, यूपीआई, क्रेडिट कार्ड, जमा, बचत और जीएसटी से जुड़े कई नियमों में हुए संशोधन आज से लागू हो गए हैं। इससे करदाताओं, वरिष्ठ नागरिकों, उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ने वाला है।
आज की तारीख यानी 1 अप्रैल 2025 बहुत ही अहम है। आज से ढेरों ऐसे नियम बदल रहे हैं या यूं कहें कि आज से ढेरों नए नियम लागू हो रहे हैं, जिनका आम जनता यानी हम सभी की रोजमर्रा की जिंदगी और वित्तीय लेन-देन पर सीधा असर पड़ेगा। एटीएम से नकद निकासी हो या फिर हाईवे पर टोल दरें, सभी में बदलाव होने जा रहा हैं। इसका सीधा असर हमारी जेब पर पड़ेगा। बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, यूपीआई लेन-देन समेत तमाम नियमों में भी संशोधन देखने को मिलेगा।
न्यू टैक्स के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। न्यू टैक्स रिजीम में 20 से 24 लाख की इनकम के लिए 25% टैक्स का नया स्लैब भी शामिल किया गया है।
पहले 30% की अधिकतम दर 15 लाख रुपए से ऊपर की आय पर लागू होती थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 24 लाख रुपए कर दी गई है। इससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत होगी।
TDS लिमिट की सीमा बढ़ी: ₹6 लाख तक की रेंटल इनकम पर टैक्स नहीं
रेंट से होने वाली इनकम पर TDS की सीमा ₹2.4 लाख से बढ़कर ₹6 लाख हो गई है।
बैंक FD से ब्याज आय अर्जित करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए TDS सीमा ₹50 हजार से बढ़कर ₹1 लाख हो गई है।
प्रोफेशनल सर्विस पर TDS की सीमा अब 30 हजार से बढ़कर 50 हजार हो गई है।
इससे कम आय वाले व्यक्तियों पर TDS का बोझ कम होगा और नकदी प्रवाह में सुधार होगा।
विदेश में पढ़ाई के लिए ₹10 लाख तक भेजने पर टैक्स नहीं
विदेश में पढ़ाई के लिए पैसा भेजने पर टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की लिमिट अब 7 लाख रुपए से बढ़कर 10 लाख रुपए हो गई है। वहीं अगर पैसा किसी फाइनेंशियल आर्गनाइजेशन जैसे बैंक आदि से लोन लिया गया हो TCS नहीं लगेगा।
TCS हटने से छात्रों और उनके परिवारों दोनों को फायदा होगा। पहले 7 लाख से ज्यादा कि राशि पर 0.5%-5% TCS कटता था। और दूसरे छोर पर 10 लाख रुपए तक की पूरी राशि पहुंच पाएगी।
अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के अंत से 24 महीने के बजाय 48 महीने तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। इसकी कुछ शर्तें हैं…
24 से 36 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 60% अतिरिक्त टैक्स।
36 से 48 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 70% अतिरिक्त टैक्स।
इससे करदाताओं को अपनी गलतियों को सुधारने के लिए अधिक समय मिलेगा। स्वैच्छिक अनुपालन भी बढ़ेगा। यानी, किसी व्यक्ति या संगठन का अपनी मर्जी से नियमों, कानूनों का पालन करना।
यूलिप यानी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाएगा। ऐसे यूलिप को भुनाने से होने वाले किसी भी फायदे पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यूलिप एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें प्रीमियम का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है।
यदि इसे 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 12.5% टैक्स लगेगा।
यदि इसे 12 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के रूप में 20% टैक्स लगेगा।
असर क्या होगा: उच्च प्रीमियम वाले ULIP में निवेश करने वालों को अब टैक्स देना होगा। सरकार ने ये बदलाव हाई-इनकम टैक्स पेयर्स को यूलिप को टैक्स-फ्री इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए किए हैं। यूलिप प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है, इसलिए सरकार का तर्क था कि इसे ट्रेडिशनल इंश्योरेंस की तरह टैक्स छूट नहीं मिलनी चाहिए।
सरकार ने फरवरी में पेश किए गए बजट में कुछ प्रोडक्ट पर कस्टम ड्यूटी घटाई थी और कुछ पर बढ़ाई थी। इससे करीब 150-200 प्रोडक्ट प्रभावित होंगे। आम तौर पर वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2025 से कस्टम ड्यूटी में हुए बदलाव लागू होते हैं।
हालांकि कुछ बदलावों की लागू होने की तारीखें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के नोटिफिकेशन पर निर्भर करती हैं। जैसे, पिछले बजट में कुछ कस्टम ड्यूटी बदलाव (जैसे मोबाइल फोन और कीमती धातुओं पर) 24 जुलाई 2024 से लागू हुए थे।
40 हजार डॉलर से ज्यादा कीमत या 3 हजार CC से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली आयातित कारें।
CBU यूनिट के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें जिनकी इंजन क्षमता 1600 CC से अधिक नहीं है।
36 लाइफ सेविंग दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने से क्रिटिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट कम हो जाएगी।
EV सस्ते हो सकते हैं। सकार ने बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए 35 कैपिटल गुड्स की ड्यूटी हटा दी है।
मोबाइल फोन बैटरी प्रोडक्शन के लिए 28 कैपिटल गुड्स को कस्टम ड्यूटी से छूट दी गई।
आइटम जो महंगे हो सकते हैं:
स्मार्ट मीटर सौर सेल, आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां, आयातित नौकाएं और अन्य जहाज, PVC फ्लेक्स फिल्म्स, PVC फ्लेक्स शीट्स, PVC फ्लेक्स बैनर, निटिंग प्रोसेस से बना कपड़ा, LCD/LED टीवी
बजट में जिन योजनाओं की घोषणा हुई थी उनका फायदा कब से मिलेगा?
सामाजिक कल्याण योजनाएं जैसे किसानों के लिए नकद सहायता, महिलाओं के लिए स्कीम्स, या रोजगार योजनाओं का फायदा जून-जुलाई से मिलना शुरू हो सकता है।
सड़क, रेल, या स्कूल-हॉस्पिटल जैसी परियोजनाओं का फायदा मिलने में समय लगता है, क्योंकि इनके लिए योजना, टेंडर और निर्माण की प्रक्रिया होती है।
7 पॉइंट में जानें बजट की पूरी प्रोसेस…
बजट वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है। वित्त मंत्री के नेतृत्व में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाता है।
हर साल 1 फरवरी को वित्त मंत्री लोकसभा में वार्षिक बजट पेश करते हैं। बजट भाषण में सरकार की आय और व्यय की डिटेल्स होती है।
बजट पेश होने के बाद, लोकसभा और राज्यसभा में इस पर विस्तृत चर्चा होती है। सांसद विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखते हैं।
चर्चा के बाद, दोनों सदनों में इसे पेश किया जाता है, जो सरकार को समेकित निधि से धन निकालने की अनुमति देता है।