उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फर्जी रजिस्ट्री वाले प्लॉटों पर इमारतों के निर्माण का मामला काफी तेज़ी पकड़ लिया है। इस पुरे मामले को देखें तो पता चलता है की एसटीएफ के हत्थे चढ़े जालसाज फर्जी रजिस्ट्री के लिए एलडीए की कॉलोनियों में ऐसे प्लॉट तलाशते थे, जिनके मालिकों का काफी समय से कोई अता-पता नहीं रहता था। फिर ये जालसाज फर्जी कागजात बनाकर नकली मालिक की जगह किसी और खड़ा कर देते और रजिस्ट्री करवा लेते। ऐसे में इन मकानों का नक्शा पास होने पर भी सवाल उठ रहा है। इसके अलावा कई प्लॉट अब भी खाली पड़े हैं।एसटीएफ की जांच में फर्जी रजिस्ट्री के जरिए बेचे गए 46 और प्लॉटों की जानकारी सामने आई है। इस तरह जालसाजों के गिरोह की ओर से फर्जी ढंग से बेचे गए प्लॉटों की तादाद 126 हो गई है। एसटीएफ इन सभी प्लॉटों से जुड़े दस्तावेज खंगाल रही है। इसके साथ गिरोह में शामिल दो अन्य सदस्यों को भी तलाश रही है।

एसटीएफ ने आरोपितों के पास से बरामद कागजात का ब्योरा एलडीए को भेजकर पूछा है कि कौन सी फाइल किस बाबू के पास थी। इसके बाद संबंधित बाबुओं से पूछताछ की जाएगी। पता लगाया जाएगा कि फाइल उनकी कस्टडी में होने के बावजूद ब्योरा जालसाजों के पास कैसे पहुंचा? माना जा रहा है कि जांच में एलडीए के कई बाबू भी नप सकते हैं। अब देखना ये है की STF की टीम ऐसे गोरख धंधा करने वालों का पर्दा कैसे फास करती है।

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