
संजय श्रीवास्तव (विधिक सलाहकार)
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 82 में बताया गया है कि किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए मजिस्ट्रेट वारंट जारी करता है। जब वह व्यक्ति नहीं मिलता है तो मजिस्ट्रेट आरोपी को सीधे 30 दिन के भीतर न्यायालय में हाजिर होने के लिए उद्घोषणा अर्थात् हाजिर सूचना, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 84 के अंतर्गत जारी करेगा।
उद्घोषणा किस प्रकार होगी जानिए:-
- जहा आरोपी निवास करता है वहां सार्वजनिक स्थान पर पढी जाएगी।
- वह स्थान जहां पर आरोपी किराये या अस्थाई निवास करता है एवं उद्दघोषणा की एक प्रति ग्राम पंचायत या ग्राम के सार्वजनिक स्थान पर लगाई जाएगी एवं न्यायालय सदन में भी लगाई जाएगी।
- यदि न्यायालय को ठीक लगता है तो एक प्रति किसी लोकल दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित करवाने के लिए भी दे सकता है।
इस उद्घोषणा के बाद भी आरोपी न्यायालय में हाजिर नहीं होता है तो उसके खिलाफ आगे क्या कानूनी कार्यवाही हो सकती है जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 209 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 84 की उपधारा 01, 02, 03 के अंतर्गत उद्घोषणा होने के बाद स्वयं को न्यायलय में हाजिर नहीं करता है तो वह व्यक्ति BNS की धारा 209 के अन्तर्गत दोषी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita Section 209 Provision of punishment
यह अपराध, संज्ञेय एवं अज़मानतीय होते हैं अर्थात पुलिस थाने में इस अपराध के खिलाफ डायरेक्ट एफआईआर दर्ज हो सकती है, एवं अपराध के लिए प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद (शिकायत) दर्ज करवा सकते हैं। इस अपराध की सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास और जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर – यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।