
डे नाईट न्यूज़ वाराणसी में आज अंतरराष्ट्रीय काशी घाट वॉक विश्वविद्यालय का 5वां वार्षिक समारोह मनाया गया। घाट वॉक रीवा घाट से पैदल चलकर मानसरोवर और मणिकर्णिका से होते हुए राजघाट पर जाकर समाप्त हुआ। 100 से ज्यादा काशीवासियों, छात्रों और BHU के प्रोफेसर्स- डॉक्टरों ने वाराणसी के सभी 88 घाटों की पैदल यात्रा पूरी की। करीब 13 किलोमीटर की यात्रा काफी रोमांचक और ऊर्जा भरने वाली रही। इस साल के घाट वाॅक की थीम थी ‘स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना’। कार्यक्रम का शुभारंभ रीवा घाट पर मुख्य अतिथि संकट मोचन महंत प्रोफेसर विश्वंभर नाथ मिश्रा ने किया। इस दौरान BHU के न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. वीएन मिश्रा, प्रोफेसर श्रीप्रकाश शुक्ला, विशिष्ट अतिथि पद्मश्री राजेश्वर आचार्य, डाॅ शारदा सिंह के साथ ही संचालक उदय पाल और काशी के अकड़ वक्कड फक्कड़ ,घाट वाकर भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में कठपुतली नृत्य की प्रस्तुति दी गई। वहीं घाट वाॅक के दौरान भी कठपुतलियां शामिल हुईं।
बनारस के घाट ज्ञान के माध्यम ही नहीं, सर्जक भी हैं
अभिनव कला मंच के तत्वावधान में राजेंद्र श्रीवास्तव के संचालन में आयोजित हुआ। जिसमें स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। कार्यक्रम में मानविकी एवं भाषा संकाय, सामाजिक और दृश्य कला संकाय इन दो विषयों पर चर्चा की गई। भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक और घाट वॉक के मानद डीन प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि बनारस के घाट केवल ज्ञान के माध्यम ही नहीं हैं। बल्कि सर्जक भी हैं। डॉ. दया शंकर मिश्र दयालु ने कहा कि काशी के घाट एक दूसरे को जोड़ते हैं।
कबीर भजन की हुई प्रस्तुति
ताना बाना समूह के देवेंद्र दास, गौरव मिश्र, कृष्णा और भगीरथ ने ‘गुरु की करनी गुरु भरेगा… के साथ झीनी झीनी बिनी चदरिया… नामक कबीर भजन की प्रस्तुति दी। घाट वाॅक के स्वागत के लिए काशी के सभी घाटों पर लोग पहले से ही मौजूद थे। इस दौरान रीवा घाट, नारद घाट, राम घाट और राज घाट पर भव्य स्वागत किया गया।