बिलासपुर: बरमाणा प्लांट बंद होने के बाद सामान समेटकर लौटने लगे प्रवासी कामगार

डे नाईट न्यूज़ हिमाचल प्रदेश बिलासपुर जिले की बरमाणा सीमेंट फैक्ट्री में काम बंद होने के बाद प्रवासी कामगारों ने पलायन शुरू कर दिया है। काम बंद होने से फैक्ट्री में काम करने वाले करीब 400 प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं। कुछ कामगारों को आए कुछ दिन ही हुए थे। एडवांस में कमरे का किराया यह सोचकर दिया था कि अगले माह मानदेय मिलेगा तो भरण पोषण चल पड़ेगा, लेकिन महीना पूरा होने से पहले ही उन्हें घर जाने को कह दिया गया। एक तो मानदेय नहीं मिला, ऊपर से आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। वीरवार को बरमाणा की सड़कों और बस स्टॉप पर सामान समेट कर घर वापस लौटने वाले कामगारों को देखा गया। 

बरमाणा सीमेंट फैक्ट्री के प्लांट में बुधवार शाम से सभी गतिविधियां बंद कर दी गई हैं। कंपनी की ओर से जल्द काम शुरू करने की उम्मीद नहीं है। प्लांट बंद होने से ठेके पर रखे गए करीब 800 कामगारों का काम छिन गया है। इन्हें रोजी-रोटी की चिंता सता रही है। ये मजदूर पैकिंग और लोडिंग सहित अन्य यूनिटों में शिफ्टों में काम करते हैं। 800 में से आधे कामगार बाहरी राज्यों के हैं। कामगारों का कहना है कि फैक्ट्री का प्लांट बंद होने से उनका रोजगार छिन गया है। बरमाणा में उनके पास और कोई काम नहीं है।

फैक्ट्री में काम कब शुरू होगा, इसका पता नहीं है। बेरोजगार रहकर उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इसलिए कहीं और जाकर काम ढूंढेंगे।  उधर, एसीसी फैक्ट्री में काम करने वाले अमृतसर के मनप्रीत, दीवान सिंह, हरप्रीत सिंह ने बताया कि प्लांट बंद हो गया है। उन्हें जाने को कहा है। अन्य साथी चले गए हैं। वे भी जा रहे हैं। यहां मजबूरी कर पैसा कमाने आए थे, लेकिन पैसा तो नहीं कमाया, उल्टा आर्थिक नुकसान ही उठाया। उन्हें आए हुए कुछ ही दिन हुए थे। कमरे का किराया भी एडवांस भी दिया था। अब कहीं और काम देखेंगे।

दाड़लाघाट में अंबुजा कंपनी का प्लांट अनिश्चितकाल के लिए बंद होने के बाद अन्य राज्यों में चल रहे उद्योगों पर भी असर पड़ सकता है। दाड़लाघाट से बाहरी राज्यों के लिए क्लिंकर की सप्लाई जाती है। रोपड़, रुड़की, भटिंडा और नालागढ़ के लिए क्लिंकर भेजा जाता है, मगर कंपनी ने दाड़लाघाट में प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद कर दिया है। इससे अब यहां क्लिंकर भी तैयार नहीं किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कंपनी बीते कई दिनों से इसकी तैयारी में थी।

ऐसे में कंपनी की ओर से फिलहाल क्लिंकर काफी मात्रा में जमा कर दिया गया है, मगर रोजाना टनों के हिसाब से कंपनियों में सीमेंट निर्माण के लिए क्लिंकर की जरूरत रहती है। ऐसे में उपरोक्त प्लांट में भी चार से पांच दिन के सीमेंट निर्माण का क्लिंकर बताया जा रहा है। ऐसे में यदि एक सप्ताह तक कंपनी बंद रहती है तो क्लिंकर का संकट हो सकता है और इन राज्यों में भी कंपनी में सीमेंट बनना बंद हो सकता है। हालांकि, अभी तक कंपनी दावा कर रही है कि उनके पास क्लिंकर और अन्य सामान की कोई किल्लत नहीं है।

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