डे नाईट न्यूज़ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अरब देश में जिस तरह से स्वागत किया गया उसने क्वाड और पश्चिम देशों को एक बार सोचने के लिए जरूर मजबूर कर दिया है। जिनपिंग के प्रभुत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कतर के अमीर तमिन बिन हमद अल थानी दोहा में चल रहे विश्व कप फुटबॉल समारोह को छोड़कर उनसे मिलने आए। अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर सऊदी अरब और चीन एक साथ आकर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को क्या संदेश देना चाहता है?
चीन ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को दिया संदेश
चीन खाड़ी देशों में उस जगह को भरना चाहता है, जिसे अमेरिका ने खाली किया है। खाड़ी देशों में चीन की बढ़ती धाक अमेरिका के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके अलावा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पश्चिमी देशों की दखल को देखते हुए भी जिनपिंग की यह यात्रा महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दूसरा व्यापार के मोर्चे पर अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को एक संदेश दिया है। जिनपिंग ने कहा कि उनकी यात्रा चीन अरब लीग देशों के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत है। इस दौरान उनका खाड़ी देशों के अन्य तेल उत्पादकों से मिलने का भी कार्यक्रम है।
चीन के स्वागत के लिए अरब के कई दिग्गज हुए थे शामिल
चीन-जीसीसी शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति शी से मिलने वालों में बहरीन के राजा हमद, कतर के अमीर शेख तमिन, फुजैराह, संयुक्त अरब अमीरात के शासक शेख हमद बिन मोहम्मद, कुवैती क्राउन प्रिंस शेख मशाल अल सबाह और ओमान के उप प्रधान मंत्री सैय्यद फहद अल सैद शामिल थे। अन्य मध्य-पूर्व नेता जो चीन-अरब शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे उनमें मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सिसी, सूडान संप्रभु परिषद के प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल बुरहान, फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और इराकी प्रधान मंत्री मोहम्मद शिया अल सुदानी शामिल थे।
सऊदी अरब के लिए चीन क्यों खास
दरअसल, चीन ने यमन में सऊदी अरब के आक्रमण, कतर के उसके बायकॉट, और पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर कोई टिप्पणी नहीं की है। पर्यवेक्षकों की राय है कि असल में चीन पश्चिम एशिया में उस जगह को भर रहा है, जो अमेरिका की यहां दिलचस्पी घटने से खाली हुई है।
जिनपिंग पर लट्टू हुए अरब के प्रिंस
सऊदी अरब यात्रा पर आए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का उस दर्जे से भी अधिक स्वागत हुआ है, जैसा पहले सिर्फ अमेरिकी राष्ट्रपति का यहां होता था। शी जिनपिंग के लिए यहां बैंगनी कालीन बिछाई गई। सऊदी परंपरा में इस रंग का खास महत्त्व होता है। इसके अलावा उन्हें सबसे ऊंचे स्तर की सलामी दी गई।