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हरियाणा के सोनीपत में कुंडली समेत अन्य बॉर्डर पर लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) और सरकार के बीच जल्द समझौते की उम्मीद जगी है।सूत्रों के अनुसार, एसकेएम को लिखे ताजा पत्र में केंद्र ने कहा है कि वह किसानों की सभी मांगें मानने को तैयार है। सरकार ने हरियाणा / यूपी में किसानों के खिलाफ सभी मामलों को तत्काल निलंबित करने की पेशकश की है।अब समिति नए प्रस्ताव पर विचार कर रही है। हालांकि इस बारे में किसी भी किसान नेता ने पुष्टि नहीं की है। वहीं दिल्ली में ऑल इंडिया किसान सभा के दफ्तर में संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी की बैठक शुरू हो गई है। इसके बाद दोपहर दो बजे सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आगामी निर्णय लिया जाएगा। उम्मीद है कि दो बजे आंदोलन समाप्ति का एलान हो सकता है।
संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले ने कहा कि हम इस बात की सराहना करते हैं कि सरकार बातचीत के लिए तैयार है और लिखित में कुछ दे रही है। लेकिन प्रस्ताव में कुछ खामियां थीं, इसलिए कल रात हमने इसे कुछ संशोधनों के साथ वापस भेज दिया और अब हम सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं। किसान संघ के सदस्यों सहित एमएसपी-केंद्रित समिति के गठन की आवश्यकता है। सरकार ने यह भी कहा कि आंदोलन खत्म करने के बाद हमारे खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए जाएंगे। यह गलत है। हमें यहां ठंड में बैठना पसंद नहीं है। सैद्धांतिक रूप से मुआवजे को मंजूरी दे दी गई है, हमें पंजाब मॉडल जैसा कुछ ठोस चाहिए। उन्होंने बिजली बिल को वापस लेने का भी वादा किया था, लेकिन अब वे हितधारकों के साथ इस पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर इसे संसद में रखना चाहते हैं। यह विरोधाभासी है। मंगलवार को मोर्चा की अहम बैठक शुरू होने से ठीक पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय से छह सूत्रीय प्रस्ताव लेकर आए प्रतिनिधिमंडल ने कुंडली में मोर्चा कमेटी के सभी पांच सदस्यों से गुप्त बैठक की थी।बैठक के बाद कमेटी के सदस्यों ने सभी प्रस्ताव मोर्चा की बैठक में रखे। इन प्रस्तावों में से तीन बिंदुओं पर किसान नेताओं ने सवाल खड़े किए। उन्होंने सरकार से बुधवार तक स्पष्टीकरण मांगा था।
सरकार ने दो दिन जवाब नहीं दिया था , किसानों ने दिल्ली कूच के फैसले के संकेत दिए थे,
एसकेएम कमेटी में शामिल सदस्यों ने सरकार पर नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए कड़े तेवर दिखाए थे और मंगलवार को होने वाली मोर्चा की बैठक में दिल्ली कूच जैसे कार्यक्रमों का फैसला लेने के संकेत दिए थे। इसके चलते कुंडली में मंगलवार को एसकेएम की बैठक शुरू होते ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 6 सूत्रीय प्रस्ताव के साथ एक प्रतिनिधिमंडल को किसान कमेटी से बातचीत के लिए भेजा। किसान मोर्चा तब तक कुंडली बॉर्डर पर बैठक शुरू कर चुका था कि अचानक कमेटी के सदस्यों के पास बातचीत का प्रस्ताव आया।
कमेटी के सदस्यों ने प्रतिनिधिमंडल के साथ गुपचुप बैठक की। करीब एक घंटे की बैठक के बाद वह वापस मोर्चा की बैठक में पहुंचे। यहां पर मोर्चा के नेताओं के सामने सभी प्रस्ताव रखे गए, जिस पर किसान नेताओं ने एमएसपी, मुकदमे वापसी व मुआवजे पर सरकार की शर्तों का विरोध किया और अन्य सभी मुद्दों पर किसानों ने सहमति जताई। किसान नेताओं ने 3 बिंदुओं पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है और इसके बाद बुधवार को फिर से बैठक करने का निर्णय लिया है।
कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल, शिवकुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढूनी, युद्धवीर सिंह व अशोक धवले ने मंगलवार शाम पत्रकारों से बातचीत कर साफ कहा कि जिन 3 मुद्दों पर पेंच फंसा है, उन पर सहमति के बाद ही किसान आंदोलन वापस लेने के बारे में विचार करेंगे। सरकार ने लिखित प्रस्ताव भेजकर अच्छी पहल की है। अब लगता है कि जल्द ही सभी मुद्दों पर बाकी सहमति बनाने का प्रयास करेगी।
किसानों की सारी मांगें मान केंद्र सरकार ने SKM को भेजी चिट्ठी, अमित शाह से मुलाकात के बाद आंदोलन खत्म हो सकता है।
सरकार ने किसानों की सभी मांगें मान ली हैं। जी हां, जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की तरफ से संयुक्त किसान मोर्चा को एक खत भेजा गया है। इस खत के जरिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों को सूचित किया है कि उनकी सभी मांगें मान ली गई हैं। हालांकि, अभी किसानों का आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। ऐसा कहा जा रहा है कि गुरुवार को किसानों का आंदोलन खत्म हो सकता है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की पांच सदस्यीय समिति बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों अमित शाह और नरेंद्र सिंह तोमर से अलग-अलग मुलाकात कर कृषि संबंधी अपने लंबित मुद्दों पर चर्चा कर सकती है। एक किसान नेता ने यह जानकारी दी। दोनों मंत्रियों के साथ संभावित चर्चा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे एसकेएम की दोपहर दो बजे से निर्धारित बैठक से कुछ घंटे पहले होगी। प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों के शीर्ष संगठन एसकेएम के सदस्यों ने आंदोलन के भविष्य का फैसला करने के लिए बुधवार को सिंघू बॉर्डर पर एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।

किसानों की मांग
किसान संगठन किसानों पर दर्ज सभी मुकदमों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसान साल 2017 से लटके मामलों का हवाला दे रहे हैं।
किसान आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के आश्रितों को पंजाब मॉडल के तर्ज पर मुआवजा दिया जाए। इसके तहत मृत किसानों के परिजनों को 5 लाख रुपया और घर के किसी एक सदस्य को नौकरी दी जाए।
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा की बर्खास्ती की जाए।
MSP पर कमेटी में एसकेएम के सदस्य शामिल हों।
पराली जलाने पर किसानों पर ना हो FIR दर्ज।
किसानों के लिए बिजली बिल पर सभी की राय ली जाए।