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बुधवार को भगोड़ा घोषित हुए मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सिंह ने अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इसी की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पहले अदालत को अपने ठिकाने के बारे में बताएं कि इस वक्त कहां हैं आप? यह बताए बिना अदालत कथित जबरन वसूली के मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा के लिए उनकी याचिका पर विचार नहीं करेगी।
इस पर परबीर ने वकील के जरिए जवाब दिया, ‘अगर मुझे सांस लेने की इजाजत मिले तो मैं गड्ढे से बाहर आ जाऊंगा।’
22 नवंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 22 नवंबर को बताएं कि परमबीर कहां हैं।
मुंबई की कोर्ट ने किया था भगोड़ा घोषित, इससे पहले मुंबई की कोर्ट ने परमबीर सिंह को भगोड़ा अपराधी घोषित करने की अनुमति दे दी थी, जिसके बाद अब मुंबई पुलिस उन्हें वांछित आरोपी घोषित कर सकती है और मीडिया सहित सभी संभावित स्थानों पर भगोड़ा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। नियम के अनुसार, यदि वो 30 दिनों में कानून के सामने नहीं आते हैं, तो मुंबई पुलिस उनकी संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी। इससे पहले गृह विभाग परमबीर के गायब रहने की जानकारी इंटेलिजेंस ब्यूरो को भी दे दी थी। गौरतलब है कि परमबीर मई के महीने से स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी पर जाने के बाद से ही लापता हैं। गृह विभाग ने सिंह को उनके चंडीगढ़ स्थित आवास पर कई पत्र भेजे गए और उनके ठिकाने के बारे में पूछताछ भी की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
सरकार के गृह विभाग ने परमबीर सिंह के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए 7 सदस्यीय SIT टीम गठित की थी। इस टीम की अध्यक्षता DCP स्तर के अधिकारी कर रहे हैं। अग्रवाल के खिलाफ जुहू पुलिस स्टेशन में दर्ज मकोका के केस की जांच भी SIT की टीम करेगी। परमबीर के कमिश्नर रहने के दौरान अग्रवाल पर छोटा शकील से संबंध होने का आरोप लगाते हुए मकोका का केस हुआ था।
ANI के अलावा स्टेट CID और ठाणे पुलिस ने परमबीर के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया है। सिंह के खिलाफ अब तक 5 मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक की जांच मुंबई, एक की ठाणे और तीन मामलों की जांच स्टेट CID कर रही है।